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देश को वैश्‍विक महाशक्ति बनाने के लिए सभी वर्गों का योगदान ज़रूरी : डॉ पंचारिया

राष्‍ट्रीय बौद्धिक संपदा महोत्‍सव के अंतर्गत सीएसआईआर-सीरी में

बौद्धिक संपदा जागरूकता कार्यशाला का आयोजन

पिलानी, 11 जुलाई।. वैज्ञानिक एवं अन्‍य क्षेत्रों में पेटेन्‍ट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट आदि से संबंधित विषयों से स्‍कूल एवं कॉलेजों की किशोर जनशक्ति को प्रशिक्षित करने के उद्देश्‍य से देशभर में मनाए जा रहे राष्‍ट्रीय बौद्धिक संपदा महोत्‍सव के अंतर्गत सीएसआईआर-सीरी, पिलानी में इंटेलेक्‍चुअल प्रॉपर्टी अवेयरनेस कार्यशाला का आयोजन किया गया। 10-11 जुलाई को आयोजित दो-दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ संस्‍थान के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में हुआ। इस कार्यशाला में पिलानी एवं निकटवर्ती विद्यालयों – बिरला बालिका विद्यापीठ, नेशनल पब्लिक स्‍कूल, बिरला स्‍कूल, सीरी विद्या मंदिर, बिरला शिशु विहार,बिरला पब्लिक स्‍कूल, राकेश अकैडमी, मंडेलिया स्‍कूल आदि विद्यालयों तथा बिट्स-पिलानी, बीकेबीआईईटी आदि महाविद्यालयों के 650 से अधिक विद्यार्थियों ने प्रतिभागिता की।

कार्यशाला के उद्घाटन सत्र की अध्‍यक्षता सीएसआईआर-सीरी के निदेशक डॉ पी सी पंचारिया ने की। अपने संबोधन में डॉ पंचारिया ने विद्यार्थियों का स्‍वागत करते हुए उन्‍हें इन्‍टेलेक्‍चुल प्रॉपर्टी का आशय समझाते हुए इसके महत्‍व से अवगत कराया। विद्यार्थियों के साथ अपने संस्‍मरण साझा करते हुए उन्‍होंने कहा कि आजादी के अमृत काल में भारत को विकसित राष्‍ट्रों की पंक्ति में शामिल करने के लिए हम सभी को अपने कर्तव्‍य का पालन करना होगा। भारत को वर्ष 2047 तक पुन: विश्‍व गुरु बनाने के लिए हमें प्रधानमंत्री द्वारा बताए लक्ष्‍य की प्राप्‍त‍ि के लिए अपने-अपने स्‍तर पर समाज में छोटी से छोटी समस्‍या या चुनौती पर चिंतन करते हुए उसका नवाचारी समाधान सुझाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि देश के इस अभियान में वैज्ञानिक, किसान, चिकित्‍सक, इंजीनियर, सैनिक, मजदूर, शिक्षक आदि के साथ-साथ विद्यार्थियों को भी अपना योगदान देना होगा।

कार्यक्रम के संयोजक एवं आई पी यूनिट के प्रमुख डॉ नीरज कुमार, प्रधान वैज्ञानिक ने दो-दिवसीय कार्यशाला में बौद्धिक संपदा के विभिन्‍न पहलुओं पर केंद्रित अपने रोचक व्‍याख्‍यानों में प्रतिभागी विद्यार्थियों को कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, पेटेन्‍ट आदि के महत्‍व की जानकारी दी एवं इनकी प्रक्रिया पर प्रकाश डाला। अपने व्‍याख्‍यान में उन्‍होंने पेटेन्‍ट प्राप्‍त करने की विधि और इससे संबंधित अन्‍य बातों की भी जानकारी दी। परस्‍पर चर्चा के दौरान डॉ नीरज ने विद्यार्थियों के द्वारा इस रोचक विषय के संबंध में पूछे गए प्रश्‍नों का उत्‍तर देकर उनकी जिज्ञासा शांत की। कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों ने वीडियो फिल्‍म के माध्‍यम से तथा संस्‍थान के विज्ञान संग्रहालय में सीरी की शोध गतिविधियों एवं उपलब्धियों के बारे में भी जानकारी प्राप्‍त की।

गौरतलब है कि राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा जागरूकता मिशन (निपम) भारत सरकार का महत्‍वाकांक्षी कार्यक्रम है जिसके अंतर्गत स्‍कूल एवं कॉलेज स्‍तर के विद्यार्थियों को बौद्धिक संपदा के महत्‍व से अवगत कराते हुए इस क्षेत्र में प्रशिक्षित करना है। आत्‍मनिर्भर भारत के लक्ष्‍य की प्राप्ति के लिए विद्यार्थियों में नवाचार हेतु विचारों का पोषण करना भी इस कार्यक्रम का उद्देश्‍य है। भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) को भारत में आईपीआर के कार्यान्वयन और भविष्य के विकास के समन्वय, मार्गदर्शन और निगरानी के लिए नोडल विभाग के रूप में नियुक्त किया गया है।

बौद्धिक संपदा क्या है?
बौद्धिक संपदा (आईपी) आरंभ से ही महत्‍वपूर्ण अवधारणा रही है। इसका आशय ऐसी रचनाओं से है जिनका सृजन मनुष्‍य अपने मस्तिष्‍क से स्‍वयं करता है। इसमें वैज्ञानिक आविष्कार, साहित्य और कला संबंधी कार्य, डिज़ाइन; तथा वाणिज्य और व्‍यापार में प्रयुक्त होने वाले प्रतीक चिह्न(लोगो), नाम एवं चित्र शामिल हैं। कानून की भाषा में बौद्धिक संपदा (आईपी) को पेटेन्‍ट, कॉपीराइट और ट्रेडमार्क द्वारा संरक्षित किया जाता है।

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