बीकानेर में मनाया विश्व ऊंट दिवस: प्रतियोगिताओं के साथ रखी ऊंट उद्यमी बैठक
बीकानेर। राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी), बीकानेर द्वारा गुरुवार को ‘विश्व ऊंट दिवस’ समारोहपूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर केन्द्र द्वारा ऊंट दौड प्रतियोगिता़, ऊंट सजावट प्रतियोगिता, तकनीकी प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी एवं ऊंट उद्यमी बैठक का आयोजन किया गया जिसमें ऊंटपालकों, किसानों, उद्यमियों, विद्यार्थियों, आमजन ने शिरकत करते हुए इन गतिविधियों का लुत्फ उठाया।
केन्द्र निदेशक डॉ. आर्तबन्धू साहू ने बताया कि उष्ट्र खेल परिसर में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मंडल रेल प्रबंधक राजीव श्रीवास्तव ने प्रतियोगिता स्थल पर प्रतिभागियों का जोश व आमजन का इस प्रजाति के प्रति रुझान देखते हुए कहा कि ऊंट हमारे राजस्थान की शान है, और ऐसे आयोजनों के माध्यम से ऊंटपालकों को सीधे तौर पर लाभ पहुंचता है। पर्यटन विभाग के उप निदेशक अनिल राठौड़ ने अपनी बात ढोला-मारु के ऐतिहासिक प्रसंग से शुरू करते हुए इसकी याददाश्त की तारिफ की।
केन्द्र निदेशक डॉ. आर्तबन्धू साहू ने प्रतियोगिताओं को लेकर कहा कि ऊंटपालकों की उत्साही सहभागिता पर खुशी जताते हुए भावी समय में इसे और वृहद स्तर पर आयोजित किए जाने की बात कहीं। आयोजन सचिव डॉ. आर.के.सावल ने विश्व ऊंट दिवस पर एनआरसीसी द्वारा आयोजित गतिविधियों को सफल बनाने हेतु सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। केन्द्र द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में पशुपालन विभाग, नई दिल्ली व भारतीय स्टैट बैंक सहयोगी रहे। केन्द्र के खेल परिसर में सुबह आयोजित ऊंट सजावट प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर उष्ट्र धावक इमरान, द्वितीय रिजवान व तृतीय स्थान पर शाबिर खान रहे वहीं ऊंट दौड़ प्रतियोगिता में प्रथम साजिद, द्वितीय इमरान व तृतीय मोहिद्दीन रहे।
द्वितीय सत्र में केन्द्र द्वारा प्रदेश के उद्यमियों के साथ एक परिचर्चा में मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) टी.के.गहलोत, पूर्व प्रोफेसर एवं हैड, वेटरनरी सर्जरी एवं रेडियालॉजी विभाग, सीवीएएस,बीकानेर ने ऊंट को सस्ता परिवहन का साधन बताते हुए ऊँटों की आज भी उपयोगिता बनी हुई है, परंतु इनका संरक्षण जरूरी है, प्रो.गहलोत ने ऊंटों की घटती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए मानव स्वास्थ्य के लिए ऊंटनी के दूध को लोकप्रिय बनाने पर जोर दिया।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि प्रो.(डॉ.) राजेश कुमार धूड़िया, निदेशक (प्रसार), राजुवास, बीकानेर ने ऊंटपालन के साथ समन्वित खेती की आवश्यकता जताई तथा एनआरसीसी द्वारा ऊंटनी के दूध आदि क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों की सराहना कीं। विशिष्ट अतिथि देवांश, प्रबंधक, परियोजना प्रबंध एजेंसी, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार ने पशुपालकों व उद्यमियों के समक्ष विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी संप्रेषित करते हुए इनका भरपूर लाभ उठाने हेतु प्रोत्साहित किया।
केन्द्र निदेशक एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ आर्तबन्धु साहू ने कहा कि उद्यमी व पशुपालक लाभदायक उद्यम को चुनें तथा इस हेतु मिश्रित पशुधन खेती से लाभ की संभावना कहीं अधिक रहती है। इस अवसर पर केन्द्र एवं ऊंट से सम्बन्धित उद्यमियों ने अपने उत्पाद प्रदर्शित किए। केन्द्र ने इस दौरान अपनी तकनीकी हस्तांतरण हेतु दो अलग-अलग उद्यमियों-रुद्र शिवम डेरी एवं एग्रो रिसर्च प्रा.लि. एवं पर्ल लेक्टो के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर कई गणमान्य जिनमें उरमूल सीमांत समिति बज्जू के आर.पी. हर्ष, पर्यटन विभाग के कृष्णकांत व पवन शर्मा, जिला परिषद के गोपाल जोशी, एसबीआई के विकास कामरा, मुख्य प्रबंधक आदि मौजूद रहे।