पिता पुत्र के मिलन का यह बना माध्यम
बीकानेर (द इंडियन डेली ) । सदैव दीनहीन लावारिस एवं असहाय प्रभुजी की सेवा में अपनाघर आश्रम अग्रणी रहा है । यहां आने वाले प्रभुजी की सेवा साक्षात ईश्वर की सेवा के रूप में की जाती है और इन्हीं सेवाओं के परिणाम स्वरूप वर्षों से अपने परिवारों से बिछड़े प्रभुजी वापस अपनी खोई हुई मानसिकता के रूप में पाकर अपने परिजनों से मिल पाते हैं और इसी का जीता जागता उदाहरण आज रानीबाजार स्थित अपनाघर आश्रम में देखने को मिला । जहां दो पिताओं के अपने दो पुत्रों से मिलन का यह दृश्य देखकर हर कोई अपने आंसूओं को रोक नहीं पाया ।
अपनाघर आश्रम के संरक्षक द्वारकाप्रसाद पचीसिया एवं अध्यक्ष अनंतवीर जैन ने बताया कि शिवसिंह नाम के प्रभुजी को 3 वर्ष पूर्व लावारिश अवस्था में जयपुर रोड़ से रेस्क्यू करके लाया गया था और समय समय पर मेडिकल सुविधा और सेवा के परिणामस्वरूप प्रभुजी ने अपने गांव जैसलसर का नाम बताया और आश्रम द्वारा गांव के सरपंच से संपर्क किया गया और इनके परिवार का पता लगाया और आज इनके पिता तेजसिंह को इनके पुत्र शिवसिंह को सुपुर्द किया गया ।
वहीँ दूसरी ओर आश्रम में गंगाशहर पुलिस के माध्यम से आए प्रभुजी सूरजपाल भी स्वस्थ होने के स्थिति में खुद को हिमाचल प्रदेश का निवासी होना बताया जिस पर आश्रम द्वारा हिमाचल प्रदेश पुलिस थाना से संपर्क कर प्रभुजी के परिवार का पता लगाया गया ओर सूरजपाल के पिता मिलापचन्द को सुपुर्द किया गया । दोनों प्रभुजी के पिता अपने अपने बुढापे के सहारे को पाकर खुश नजर आए और अपनाघर आश्रम परिवार का धन्यवाद ज्ञापित किया ।