गोबर को कंडों के रूप में जलाने के बजाय खेत में खाद के रूप में उपयोग करें
*जैविक खेती पर आधारित प्रशिक्षण आयोजित*
बीकानेर, 11अप्रैल। कृषि महाविद्यालय के शस्य विज्ञान विभाग द्वारा कृषि आय बढ़ाने के उद्देश्य से जैविक खेती विषयक सात दिवसीय प्रशिक्षण स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के मानव संसाधन विकास निदेशालय के सभागार में मंगलवार से प्रारंभ हुआ।
प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. एस. आर. भूनिया ने बताया कि युवा उद्यमियों को जैविक खेती की ओर प्रेरित करने तथा खेती उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में लाकर आय बढ़ाने के उद्देश्य से यह प्रशिक्षण आयोजित हो रहा है। प्रशिक्षण में राजस्थान के विभिन्न भागों के 53 प्रशिक्षणार्थी भाग ले रहे हैं।
उन्होंने बताया कि उद्घाटन समारोह के विशिष्ठ अतिथि संभागीय आयुक्त डॉ. नीरज के. पवन थे। उन्होंने गोमूत्र व गोबर के प्रसंस्करण द्वारा जैविक कीटनाशक और फफून्दीनाशक बनाने, गोबर को कंडों के रूप में नहीं जलाकर खेत में खाद के रूप में उपयोग करने पर जोर दिया।उन्होंने कहा कि जैविक खेती में उत्पादन तुलनात्मक दृष्टि में कम होता है, परंतु बाजार में भाव अच्छे मिलने के कारण तथा स्वास्थ्य के लिये लाभकारी होने के कारण इसके प्रति रुझान बढ़ रहा है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने कहा कि अधिक उत्पादन लेने की होड़ में अधिक रसायनों का छिड़काव करने से मृदा खराब हो रही है।इससे बचने का प्रयास किया जाए। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण में जैविक खेती के उत्पादों के प्रमाणीकरण की जानकारी प्राप्त कर अपने उत्पादों को प्रमाणित करवाएं।
कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. आई. पी. सिंह ने कहा कि देश में कुल उत्पाद का मात्र 3 % उत्पादन ही अभी जैविक है। स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों की मांग को देखते हुए इसे और बढ़ाने की आवश्यकता है। कुलसचिव सुनीता चौधरी ने खेती में बायो फर्टिलाइजर एवं पंचगव्य के उपयोग के महत्व पर चर्चा की। सात दिन तक चलने वाले इस प्रशिक्षण में डॉ परमेंद्र सिंह एवं डॉ अमित कुमावत जैविक खेती के विभिन्न आयामों पर प्रायोगिक प्रशिक्षण देंगे।