प्रशासन चाहे न माने, लेकिन पतंगें उड़ी और लूटी भी
बीकानेर। बीकानेर का प्रशासन चाहे माने या ना माने, लेकिन बीकानेर शहर के अंदर जमकर पतंगबाजी हुई। लूटने वालों ने सड़कों पर पतंगे लूटी भी और डीजे पर गाने भी बजे। प्रशासन की ओर से जो विज्ञप्ति जारी हुई है उसमें बताया गए हैं कोरोना संकट के बीच फीकी रही आखातीज। यह विज्ञप्ति हकीकत से कोसों दूर है नत्थूसर गेट एरिया, पुष्करणा स्टेडियम, मुरलीधर व्यास कॉलोनी सहित कई इलाकों के आसमान में पतंगे उड़ती नजर आई। वहीं सड़कों पर बच्चे पतंग लूटते हुए देखे गए। कई इलाकों में डीजे भी बज रहे थे। कुछ जगहों पर पुलिस ने कार्रवाई भी की पुलिस की यह कार्रवाई भी बताती है कि शहर में डीजे गूंज रहे थे और पतंगे उड़ाई थी जबकि प्रशासन की विज्ञप्ति इस बात से इंकार कर रही है। मुरलीधर व्यास कॉलोनी में अग्निशमन ऑफिस के पास बच्चे बेखौफ होकर पतंग लूट रहे थे, मांझा समेट रहे थे और उन्हें रोकने वाला भी कोई नहीं था। इन स्थितियों को देखकर ऐसा जान पड़ा कि बीकानेर प्रशासन भी अंदरखाने कहीं न कहीं यह मानकर चल रहा हो कि पतंगबाजी से शायद संक्रमण फैलेगा नहीं। इसके के प्रति आश्वस्त था तभी कार्रवाई को लेकर उतनी गंभीरता नहीं दिखाई जितनी कोरोना पॉजिटिव केस आने के समय और लाॅक डाउन की सख्ती से पालना कराने में दिखाई। बीकानेर में जिस ढंग से और जिस सख्ती से लॉक डाउन की पालना हुई है वह वास्तव में तारीफ करने योग्य है, लेकिन पतंगबाजी को लेकर वैसी सख्ती नहीं दिखाई दी। यहां बता दें कि द इंडियन डेली इस महान परंपरा के खिलाफ नहीं है, लेकिन जिस तरह की यह बीमारी है जिसने पूरी दुनिया को उलट पलट कर दिया है उसे देखते हुए प्रशासन का पतंगबाजी पर प्रतिबंध का निर्णय सही था और इसकी पालना करना उससे भी महत्वपूर्ण है। ध्यान रहे अभी खतरा टला नहीं। सावधानी ही बचाव है।