डॉक्टर्स की हड़ताल से बिगड़ी दवा कारोबार की सेहत
रोजाना डेढ़ करोड़ का दवा कारोबार आधे पर सिमटा
बीकानेर। इन दिनों राइट टू हेल्थ बिल के खिलाफ चल रही डॉक्टर्स की हड़ताल के चलते न केवल मरीजों को बेहद परेशानी झेलनी पड़ रही है, बल्कि दवा कारोबारी भी परेशानी में हैं। बीकानेर जिले में दवाओं के करीब 2200 काउंटर है। जिले में हर माह करीब 40 करोड़ का दवा कारोबार होता है, जो अब आधा ही रह गया है।
दवा कारोबारियों का कहना है कि हड़ताल से संपूर्ण बीकानेर जिले में दवा कारोबार आधा रह गया है। शहरी क्षेत्र में मेडिकल लैब्स ठप पड़ी हैं। कारोबारियों का कहना है कि डॉक्टर्स जांच लिखेंगे, तभी तो लैब में मरीज आएंगे और दवाओं की बिक्री होगी। दवा बिक्री के मामले में गांव ज्यादा प्रभावित नहीं हैं, क्योंकि वहां फार्मासिस्ट को गंभीर बीमारी को छोड़ सामान्य दवा देने का अधिकार है। शहरी क्षेत्र में दवा बाजार सूना हो चुका है। दवा कारोबारियों का कहना है जो मरीज एक साथ पूरी दवा ले जाते थे, वे अब दो-तीन दिन की दवा ही ले जा रहे हैं। वे इस उम्मीद में रहते हैं कि बस एक-दो दिन में हड़ताल टूट जाएगी। यह भी जानकारी में आया है कि दवा कारोबारी महंगी दवाओं के पत्ते में कटिंग नहीं करते, क्योंकि कटिंग के बाद बिकने के चांस कम रहते हैं। मगर इनमें भी कुछ दवाओं में रिस्क लेकर कटिंग करके दे रहे हैं। कारोबारियों का कहना है कि जल्द ही डॉक्टर्स की हड़ताल नहीं टूटी तो मेडिकल पेशे से जुड़े छोटे दुकानदारों के यहां काम करने वाले कार्मिकों के रोजगार पर संकट आ सकता है। सरकारी डॉक्टरों के हड़ताल पर चले जाने के कारण दवा कारोवार पर संकट और गहरा गया है। यहां तक की सोनोग्राफी जांच करवाने के इच्छुक मरीजों को कोई लैब खुली नहीं मिली। कुछ लैब बंद पड़ी थीं तो कुछ दवा की दुकानें भी बंद
श्री हरि एमेजिंग एंड डायग्नोस्टिक सेंटर के हरि प्रकाश गहलोत व न्यू लाइफ डायग्नोस्टिक सेंटर के भंवर लाल रंगा कहते हैं कि बीकानेर में 2-4 बड़ी लैब है, जिनका रोजाना डेढ़ से दो लाख का कारोबार होता है। ऐसे में 10-12 दिन हड़ताल चली है तो करीब 15 लाख का नुकसान मान कर चलते हैं। लैब चार-पांच कैटेगरी की हैं। किसी में एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, सिटी स्केन और एमआरआई आदि होती है और कुछ में केवल एक्स-रे ही होता है। कुछ लैब के ऑनर डॉक्टर है। उन्होंने 12 दिन से लैब बंद कर रखी है। हम जैसे लैब संचालकों ने इन डॉक्टर्स को 3-4 दिन समर्थन देकर लैब बंद रखीं। लंबे समय तक हम बंद नहीं रख सकते हैं, क्योंकि अधिकांश लैब किराए की दुकानों में चल रही है।
इनका कहना है : डॉक्टर्स की हड़ताल के कारण 50 फीसदी से ज्यादा दवा कारोबार टूट चुका है। दवा काउंटर्स पर नए मरीज नहीं आ रहे हैं। शहरी इलाकों पर ज्यादा से प्रभाव पड़ा है। गांवों में दिक्कत नहीं है।
–पांचीलाल जोशी, मां आशापूर्णा मेडिकल, बीकानेर
डॉक्टरों की हड़ताल से दवा मार्केट बेहद सुस्त पड़ा है ग्राहकी पर बहुत ज्यादा फर्क पड़ा है। हड़ताल की शुरुआत में कोई विशेष फर्क नहीं पड़ा, मगर धीरे-धीरे इम्पेक्ट बढ़ता ही जा रहा है। बीपी शुगर आदि के रूटीन के मरीज जरूर आ रहे हैं। वहीं अन्य बीमारियों के पेशेंट एक माह के बजाय कुछ दिन की दवा ही लेकर जा रहे हैं। – मुरली अग्रवाल, अग्रवाल मेडिकल स्टोर, केईएम रोड बीकानेर
नोखा में दवा कारोबार पर आंशिक फर्क पड़ा है। बीकानेर से जो पर्चियां आती थीं, वह आना बंद हो गई है। करीब 20 प्रतिशत व्यवसाय प्रभावित हुआ है। गंभीर मरीज ज्यादा परेशान हैं। वे हमसे पूछ रहे हैं कि कहां दिखाएं।
–कैलाश ओझा, कृष्णा मेडिकल स्टोर, अस्पताल रोड, नोखा
बीकानेर जिले में दवा कारोबार पूरी तरह से ठप हो चुका है। पीबीएम हॉस्पिटल रोड पर दवा बाजार वीरान पड़ा है। मरीज परेशान हो रहे हैं। सरकार अपनी योजनाएं वापस लें या फिर इन्हें स्वैच्छिक कर दें।
–किशन जोशी, सचिव, बीकानेर डिस्ट्रिक्ट केमिस्ट एसोसिएशन
हड़ताल के कारण मेडिकल क्षेत्र में पूरी तरह से सूनापन व्याप्त है। दवा कारोबार शत-प्रतिशत डाउन है। –निर्मल कुमार, हरिओम मेडिकल एजेंसी, बीकानेर