राजमाता सुशीला कुमारी का निधन, मंत्री भाटी ने जताया शोक
बीकानेर। बीकानेर राज घराने की अंतिम महारानी और राजमाता सुशीला कुमारी का शुक्रवार देर रात लालगढ़ स्थित आवास पर निधन हो गया। उन्हें पीबीएम अस्पताल के हल्दीराम अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक वो दम तोड़ चुकी थी। वह लम्बे समय से बीमार थी। उन्होंने आम लोगों से मिलना बंद कर दिया सुशीलाकुमारी का अंतिम संस्कार रविवार को सागर गांव में स्थित राजपरिवार के श्मसान घाट पर किया जाएगा। इससे पहले शनिवार जूनागढ़ में उनकी पार्थिव देह आम लोगों के दर्शन के लिए रखी जाएगी। राजपरिवार की रीति नीति के तहत ही उनका अंतिम संस्कार होगा । राजमाता सुशीला कुमारी की पोती और बीकानेर पूर्व की विधायक सिद्धि कुमारी देर रात अस्पताल पहुंच गई थी। सिद्धि कुमारी को अपनी दादी से अत्यंत लगाव रहा। राजशाही और लोकतंत्र दोनों में सक्रिय सुशीला कुमारी का जन्म 1929 में हुआ था। राजसिंह डूंगरपुर की बहन सुशीला कुमारी का जन्म डूंगरपुर राज परिवार में हुआ। उनका विवाह बीकानेर राजपरिवार महाराजा करणी सिंह से हुआ था। देश की आजादी से पहले वो महारानी रही। इसके बाद महाराजा करणी सिंह बीकानेर से 1952 से 1977 तक सांसद रहे । ऐसे में सुशीला कुमारी ने लोकतंत्र में भी महत्ती भूमिका निभाई। अब उनकी पोती सिद्धि कुमारी बीकानेर पूर्व से पिछले तीन चुनावों में लगातार विधायक है।
ऊर्जा मंत्री ने पूर्व राजमाता श्रीमती सुशीला कुमारी के निधन पर जताया शोक
बीकानेर। बीकानेर पूर्व रियासत की राजमाता श्रीमती सुशीला कुमारी के निधन पर ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने शोक व्यक्त किया है। भाटी ने कहा कि सुशीला कुमारी धर्म-कर्म और आध्यात्म की प्रतिमूर्ति थी। उन्होंने समाज सेवा के नए प्रतिमान स्थापित किए। उन्होंने उदीयमान खिलाड़ियों और प्रतिभाओं को आगे बढ़ने के भरपूर अवसर दिए। भाटी ने कहा कि पूर्व राजमाता, आमजन से पूरी आत्मीयता से मिलती थी और बातचीत में अधिकतर राजस्थानी भाषा का ही उपयोग करती। उन्होंने बीकानेर की परम्पराओं के संरक्षण और संवर्धन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भाटी ने कहा कि सुशीला कुमारी का निधन बीकानेर के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना की है।