होलिका दहन पर करे ये उपाय असफल कार्यो मे मिलेगी सफलता
अटका धन, बीमारी, नौकरी, शादी, व्यापार वृद्धि आदि के लिए देखें उपाय
बीकानेर । होली आनंद व उल्लास का वो त्यौहार है जो सभी देश मे किसी न किसी रूप मे मनाया जाता है। हमारे हिंदू धर्म में चार रात्रियों को विशेष माना गया है जिसमे दीपावली, शिवरात्रि, जन्माष्टमी और होलिका दहन की रात्रि को महत्व दिया गया है, ये सब रात ऐसी है जिसमे अपने सोये हुए भाग्य को जगा सकते हैं। शास्त्रों के अनुसार जो धार्मिक व्यक्ति कर्मकांड व तंत्र विधा में रुचि रखते हैं उनके लिए यह रात्रि विशेष फलदायी मानी गयी है और वर्ष की अपेक्षा इन रात्रियों में साधना करने से मन इच्छा फल की प्राप्ति होती है।
अपने इष्ट, कुलदेवी, कुलदेवता या गुरु मंत्र का जाप, साधना करें। फालगुन शुक्ल आष्टमी से पूर्णिमा के दिन तक होलाष्टक होता है जिनमे कोई भी शुभ कार्य नही होता है। उसी दिन होलाष्टक समाप्त भी होता है। यह जानकारी देते हुए पं. गिरधारी सूरा ( पुरोहित) ने बताया कि होलाष्टक की शुरुआत होली से आठ दिन पहले होती है। इस बार होलाष्टक 27 फरवरी को सूर्योदय से होलाष्टक शुरू होंगे और पूर्णिमा के दिन होलिका दहन के बाद खत्म होंगे।
पं. गिरधारी पुरोहित सूरा ने बताया कि होलाष्टक के दौरान मुंडन, विवाह, नामकरण, अन्नप्राशन सहित 16 संस्कारों में से कोई भी इन 8 दिनों के बीच नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही नया वाहन न खरीदें , नया व्यवसाय शुरू न करें और न ही होलाष्टक के दौरान किसी मकान या प्लॉट की रजिस्ट्री भी न कराएं। मकान बनवाने का काम अगर आप होलाष्टक से पहले से करते आ रहे हैं, तो इसे जारी रहने दें, लेकिन इसकी शुरुआत होलाष्टक से नहीं करनी चाहिए।
छोटे छोटे टोटके करने से बहुत सारी समस्याओं का हल निकल सकता है। जिसके करने से आपकी हर प्रकार की जटिल से जटिल समस्याओं का निदान जरूर होगा यदि होलिका दहन की रात्रि में इन उपायों को कर लेते है तो निश्चित रूप से आपकी कुंडली मे नकारात्मक बनी हुई या कोई भी ग्रह खराब है लगातार काम में बाधा आ रही है तो ये उपाय जरूर आजमाए फिर भगवत कृपा से आपकी किस्मत संवर जाएगी।
माला घोलाई 6 मार्च 2023 को सूर्योदय से लेकर शाम 4 बजे से पहले कर सकते है। हिंदू पुराणों के अनुसार फालगुन पूर्णिमा की रात्रि को भद्रा रहित प्रदोष काल में होलिका दहन करना चाहिए विधिवत रूप से होलिका का पूजन करने के बाद होलिका का दहन किया जाता है । शास्त्रों के अनुसार श्लोकों में भी लिखा हुआ है प्रतिपद्भुत भद्रासु यार्चिता होलिका दिवाली। सम्वतसरं च तदराष्ट्रं पुरं दद्दति सा द्रुतम्। प्रदोष व्यापिनी ग्राह्या पौर्णिमा फाल्गुनी सदा।। तस्याँ भद्रा मुखं त्यक्तवा पूज्या होली निशामुखे।
होलिका दहन का मुहूर्त निर्णय सागर पंचांग के अनुसार
फाल्गुन शुक्ल पक्ष चतुर्दशी सोमवार 6 मार्च 2023 को सांय प्रदोष वेला मे 6 बजकर 38 मिनट से रात्रि 9 बजकर 6 मिनट तक होलिका दहन करना सर्वश्रेष्ठ है।
होलिका की परिक्रमा करते रखें इनका ध्यान
होलिका की परिक्रमा करते हुए अपने रीति रिवाजो से होली के त्योहार को मनाना चाहिए। होलिका दहन से पहले विशेष होली पूजा कराई जाती है ये पूजा सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश करने और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए की जाती है। बुरा साया दूर होता है और वैवाहिक जीवन में खुशिया प्राप्त होती है । जो भी यह पूजा करता है उसे होलिका के पास उतर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए। श्रद्धा भक्ति से पूजन सामग्री का अर्पण करे।
प्रहलाद और होलिका की कथा—–
कथानुसार श्रीहरि विष्णु के परम भक्त प्रहलाद का पिता दैत्यराज हिरण्यकश्यप नास्तिक और निरंकुश था। उसने अपने पुत्र से विष्णु भक्ति छोड़ने के लिए कहा परन्तु अथक प्रयासों के बाद भी वह सफल नहीं हो सका। तदुपरांत हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे की भक्ति को देखते हुए उसे मरवा देने का निर्णय लिया। लेकिन अपने पुत्र को मारने की उसकी कई कोशिशें विफल रहीं। इसके बाद उसने यह कार्य अपनी बहन होलिका को सौंपा। होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह कभी जल नहीं सकती।
होलिका अपने भाई के कहने पर प्रहलाद को लेकर जलती चिता पर बैठ गई। लेकिन इस आग में प्रहलाद तो जला नहीं पर होलिका जल गई। तभी से इस त्योहार के मनाने की प्रथा चल पड़ी है।
इसी घटना के स्मरण स्वरुप लोग होली की पिछली रात को होलिका जलाते हैं और अगले दिन रंग और गुलाल से एक दूसरे के साथ होली खेलते हैं।
होली के जलने के बाद वहां से आग अपने घर लानी चाहिए। उसमे अपने रीति रिवाज के अनुसार कार्य करे कही कही पर नारियल की गिरी और गेहूं की बाली भून कर खानी चाहिए।कहीं पर पापड़ सेक के खाते है। होली के दिन ऐसा करने से दीर्घायु और समाज में सम्मान प्राप्त होता है। यह क्रिया रात में होली जलने के बाद और सूर्योदय के पहले करनी चाहिए
राशि के अनुसार होली में गुलाल और कुछ विशेष उपाय का प्रयोग करे जिससे कुंडली में ग्रह होंगे मजबूत और मिलेगी सफलता। 👇👇
मेष, सिंह और वृश्चिक राशि वाले लाल गुलाल का प्रयोग करें और लाल गुंजा, लाल चंदन, लाल मिर्च, गुड़ लेकर अपने सिर के उपर सात बार घुमाकर होलिका में डाल दे।
वृष , कर्क और तुला राशि वाले सफेद, गुलाबी, चमकीली गुलाल में इत्र मिलाकर दुसरों को लगाए और बतासे मक्खाना, सफेद मिठाई अपने ऊपर घुमाकर होलिका में डाल दें।
मिथुन और कन्या राशि वाले हरी गुलाल का उपयोग करे । साथ ही पान का पत्ता लेकर उस पर गोमती चक्र रखकर अपने ऊपर गुमाकर होलिका में डाल दें।
धनु व मीन राशि वाले पीली केसरिया गुलाल लेकर दान करें या किसी मिलने वालो को लगाए और जौ, साबुत हल्दी, पीली सरसों इन तीनों को एक सूखे नारियल गट में डालकर अपने ऊपर सात बार घुमाकर जलती होलिका में डाल दें।
मकर व कुंभ राशि वाले नीली, बैंगनी व काली गुलाल का दान करे या किसी को लगाए और होलिका की राख से अपने और दूसरों के तिलक लगाएं । काली मिर्च, राई ,लवंग, नारियल अपने ऊपर घुमाकर होलिका में डाल दें।
आज कलियुग में हर कोई छोटी से लेकर मोटी समस्याओं से ग्रसित है, अगर आप भी इन परेशानियों का शिकार हैं तो तुरंत इस होलिका पर ये उपाय करे तो निश्चित ही भगवत कृपा से आपको सफलता जरूर मिलेगी । 👇👇
बुरी नजर, भूत प्रेत, तंत्र मंत्र से बचने के लिए :- एक मुठी काले तिल, सात काली मिर्च, सात लवंग, कर्पूर नारियल लेकर बच्चे या बड़े के ऊपर से 21 बार घुमाकर जलती होलिका में डाल दें। जल्दी ही इस क्रिया का असर खत्म हो जाएगा।
अटका धन, पैसा प्राप्ति, नौकरी, व्यापार मे वृद्धि के लिए :- एक खोपरा ले उसको उपर से काटकर उसमे शक्कर, खोपरा बुरा, एक इलायची, शहद, बतासा डालकर उसको बंद कर व्यापार, घर या अपने उपर 11 बार घुमाकर होलिका मे डाल दे !
शादी के लिए :- एक पान के पत्ते पर साबुत हल्दी, सफेद तिल, केसर,इत्र लेकर जिसकी शादी नही हो रही हो उसके उपर घुमाकर होलिका दहन मे डाल दे और तीन परिक्रमा निकालते हुए प्राथना करे शादी की । जल्दी ही वेवाहिक योग बन जायेगा
बीमारी, अशाध्य रोग, पीड़ा व शत्रु निवारण के लिए :-पीली सरसो, साबुत नमक, निम्बू, जौ लेकर पीड़ित व्यक्ति के हाथ से या उसके उपर 21 बार घुमाकर होलिका मे डाल दे ।
मानसिक चिंता, डिप्रेशन को दूर करने के लिए :-धूप, काला उड़द, लवंग , कर्पूर को अपने हाथ से जलती होलिका मे विसर्जन कर दे