विज्ञान जिज्ञासा से और इंजीनियरिंग मनुष्य की आवश्यकता एवं अनुप्रयोग से संचालित होती है : डॉ चंद्रशेखर
सीएसआईआर-सीरी में जिज्ञासा कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यार्थी एवं प्रौद्योगिकीविद हुए सम्मानित
विज्ञान भारती का 31वाँ स्थापना दिवस आयोजित
पिलानी, 19 अक्टूबर। “विज्ञान जिज्ञासा से और इंजीनियरिंग मनुष्य की आवश्यकता एवं अनुप्रयोग से संचालित होती है। हमारी प्रकृति की प्रत्येक घटना में विज्ञान का समावेश है परंतु विज्ञान को समझने के लिए जिज्ञासु होना पहली शर्त है”। ये विचार सीएसआईआर-सीरी में जिज्ञासा कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित ‘मैं भी बनूं कलाम’ कार्यशाला एवं विज्ञान भारती के 31वें स्थापना दिवस समारोह में डॉ चंद्रशेखर, पूर्व निदेशक, सीएसआईआर-सीरी एवं चांसलर, एसीएसआईआर ने अपने मुख्य अतिथि संबोधन व्यक्त किए। डॉ चंद्रशेखर ने विज्ञान विषय पर अपने रोचक एवं ज्ञानवर्धक व्याख्यान में विश्व में विज्ञान की यात्रा का वर्णन किया। उन्होंने अपने संबोधन में विद्यार्थियों को विज्ञान की छोटी-छोटी बातों व घटनाओं का उदाहरण देते हुए विज्ञान को देखने-समझने के लिए प्रेरित किया।
स्वदेशी विज्ञान के प्रचार प्रसार के लिए समर्पित वैज्ञानिक संस्था विज्ञान भारती का 31वाँ स्थापना दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में एसीएसआईआर के चांसलर एवं सीरी के पूर्व निदेशक डॉ चंद्रशेखर तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में विज्ञान भारती के राष्ट्रीय सचिव डॉ अरविंद सी. रानाडे उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ पी सी पंचारिया, निदेशक, सीएसआईआर-सीरी ने की। इस अवसर पर विज्ञान भारती (राजस्थान) के सचिव डॉ मेघेन्द्र शर्मा, सीरी विद्या मंदिर की प्राचार्या बी राशेल के अलावा विज्ञान भारती की जिला इकाई के पदाधिकारी, संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक, पिलानी सहित अन्य विद्यालयों के विद्यार्थी, स्थानीय शिक्षण संस्थाओं के प्रतिनिधि, मीडियाकर्मी आदि उपस्थित थे।
इस अवसर पर अतिथियों द्वारा ‘विद्यार्थी विज्ञान मंथन’ पोस्टर तथा आजादी का अमृत महोत्सव पुस्तक ‘स्ट्रगल फॉर स्वतंत्रता थ्रू साइंस’ का विमोचन भी किया गया। डॉ मेघेन्द्र शर्मा ने अपने स्वागत संबोधन में सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया तथा कार्यक्रम की संक्षिप्त रूपरेखा से अवगत कराया। डॉ पी सी पंचारिया ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में देश की विकास यात्रा पर प्रकाश डाला। उन्होंने अमृत काल में देश को विश्व शिखर पर लेजाने के लिए बच्चों, युवाओं और अनुभवी वयस्कों की तीनों पीढि़यों को मिलकर प्रयास करने के लिए आमंत्रित किया। विशिष्ट अतिथि डॉ रानाडे ने अपने संबोधन में विज्ञान भारती की स्थापना, पृष्ठभूमि एवं लक्ष्यों से अवगत कराते हुए उपस्थित छात्र-छात्राओं को कणाद से कलाम तक सभी भारतीय वैज्ञानिकों से प्रेरणा लेने का आह्वान किया।
कार्यक्रम के दौरान देश में विज्ञान एवं अन्य क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान के लिए डॉ चंद्रशेखर (सेमिकंडक्टर चिप डिजाइन एवं शिक्षा), डॉ पी सी पंचारिया (इलेक्ट्रॉनिक इंस्ट्रुमेन्टेशन), डॉ नरेंद्र कुमार गुप्ता (कृषि अनुसंधान), डॉ संजीव कुमार (आयुर्वेद) को विज्ञान भारती विशिष्ट सम्मान से सम्मानित किया गया।
जिला स्तर पर आयोजित ‘मैं भी बनूँगा कलाम’ तथा ‘विद्यार्थी विज्ञान मंथन’ प्रतियोगिताओं के विजेता विद्यार्थियों को पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र वितरित किए गए। इसके अलावा विज्ञान भारती के जिला समन्वयकों को भी सम्मानित किया गया।
इससे पूर्व प्रात:कालीन सत्र में मैं भी बनूँगा कलाम कार्यकम के अंतर्गत सीरी विद्या मंदिर में रोबोटिक्स, रॉकेट विज्ञान तथा बेसिक इलेक्ट्रॉनिक्स पर विज्ञान प्रयोगों के अलावा विज्ञान क्विज, टेक्नोलॉजी प्रदर्शन आदि कार्यक्रम आयोजित किए गए। समारोह का संचालन प्रधान वैज्ञानिक डॉ अदिति ने किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्र गान से हुआ।