रेलवे की निजीकरण की नीति पर लगाम नहीं लगाई तो बड़े आंदोलन के मूड में रेल कार्मिकों की यूनियन
आमजन को मिलने वाली सुविधाओं में कटौती व मनमाना किराया वसूली की जताई आशंका
बीकानेर । रेलवे की निजीकरण को लेकर रेल कार्मिक लम्बे समय से आंदोलनरत है। वहीं सरकार भी इस दिशा में इन कार्मिकों को अपना रूख स्पष्ट नहीं कर रही है। ऐसे में रेलवे की इस नीति पर लगाम नहीं लगाई तो रेल कार्मिकों की यूनियन बड़े आंदोलन के मूड में नजर आ रही हैं। ऑल इंडिया रेलवे मैन्स फेडरेशन व नार्थ वेस्टर्न रेलवे एम्प्लाइज यूनियन के आह्वान पर सोमवार को 1968 के हड़ताल में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय के मैन गेट पर शहीद दिवस मनाया गया । इस दिवस पर कॉम ब्रजेश ओझा जोनल उपाध्यक्ष ने अपने संबोधन में कहा कि रेल के इतिहास मे केंद्र का सबसे बड़ा संगठन आल इंडिया रेलवे मैन्स फेडरेशन ही एक ऐसा संगठन है जिसने कर्मचारियों की समस्यों के लिए साल 1968, 1972 आदि में कर्मचारियों के लिए हड़ताल कर उनकी मांगे उठाई है। रेल प्रशासन से लड़ कर कार्य के घंटे, बोनस, अवकाश एवं अन्य सुविधाएं को लागू करवाया है। रेल का निजीकरण कर सरकार कर्मचारियों के साथ आम जनता की सुविधाएं को अनदेखा कर रही है आम जनता का सबसे सुलभ साधन को अपने व्यवसायी मित्रों के हाथ में दे रही है। जिसे आने वाले समय में देश की जनता को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ेगा । कर्मचारियों की सबसे बड़ी समस्या का संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार को अपने कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन लागू (ओपीएस) को लागू करना चाहिए । मंडल मे भिंन भिन्न पदों पर खाली रिक्तियों को तुरत भरे।
नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे जॉन मे कॉम मुकेश माथुर महामंत्री के पूर्व में अरथक प्रयासों से जोन के कर्मचारियों को जीडीसी का दो से तीन बार लाभ मिला जो अभी बन्द है। इसे भी स्थानीय प्रशासन जल्द लागू करे एवं स्थानीय रेल अधिकारी मंडल के सभी विभागों के भिन्न भिन्न कर्मचारियों के तबादले जैसे अपने आदेशों से उत्पीड़त करना बंद करे अन्यथा उनके इस कर्मचारी विरोधी रवैये के लिए यूनियन आंदोलन के लिए मजबूर हो जाएगी ।
कॉम विजय श्रीमाली जोनल उपाध्यक्ष एवं कॉम गणेश वशिष्ठ शाखा सचिव ने कर्मचारियों को बताया कि रेल का निजीकरण एवं निगमीकरण से रेल की सरँक्षा एवं सुरक्षा को खतरा है। रेल का निजीकरण कर्मचारियों के साथ आम जनता के लिए भी दुखदायी होगा। जब व्यवसायी घराने इनको मनमाना किराया, सुविधाओं में कटौती ,अन्य भिन्न भिन छूट को बंद करेंगी। सरकार ने आम जनता के सबसे सुलभ साधन को निजी हाथों में देने की अपनी नीति पर विराम नही लगया तो कर्मचारी स्वयं एवं अपने परिवार के साथ बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
रेल कर्मचारियों को मिलने वाली एनपीएस को तुरंत बंद कर ओपीएस को जल्द लागू करें। रेल कर्मचारी ने देश की हर आपदा में अपना तनमन धन लगा कर सेवा दी है और आगे भी देश को जरुत होगी तो रेल कर्मचारी देश की किसी भी आपदा में सबसे आगे खड़ा मिलेगा । निजीकरण के खिलाफ युवा कर्मचारियों आने वाले संघर्ष के लिए तैयार रहे। इस प्रदर्शन मे कॉम मुश्ताक अली, रामेश्वर लाल, मोहम्मद सलीम क़ुरैशी ,आनद मोहन, अमरनाथ सेवग, दीन दयाल सोलंकी, जितेंद्र विश्कर्मा, आशुराम सोलंकी,शशिकांत परिहार, रामहंस मीणा, सुनील, कृष्ण रामावत, देवेंद्र सिंह, शिवानंद, शत्रुघन पारीक, राजेन्द्र खत्री,भरत ओझा, संजीव मालिक, मनहोर पुरोहित,पवन कुमार, नवीन, विजय, हरिदत्त मिश्रा, नंदलाल, दिलीप कुमार, जोगिदर सिंह, जितेंद्र चौधरी, लक्ष्मण सिंह भाटी, मनोज कुमार, सोंनु, सुरेंदर सिंह,अरूण कुमार, मांगीलाल ,सतवीर ,अशोक के साथ सड़कों कर्मचारी उपस्थिति रहे ।