मौसम केन्द्र का पूर्वानुमान : पूनरासर मेले तक कैसा रहेगा मौसम
बीकानेर । भादवे के महिने में सर्वाधिक मेलों की रौनक रहती हैं। खासकर रुणिचा, पूनरासर हनुमान व कोडमदेसर भैरव के मेले में जन सैलाब उमड़ पड़ता है। राजमार्गों व गांवों के कच्चे रास्ते पद यात्रियों के जैकारों से गूंज उठते हैं। पद यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की चाहत रहती है कि पूरी यात्रा के दौरान मौसम सुहावना रहे। बीछवाल स्थित मौसम केंद्र के अनुसार बीकानेर में आने वाले दिनों में दिन व रात के तापमान में बढ़ोतरी होने, मध्यम आपेक्षिक आर्द्रता के साथ मध्यम गति की हवा चलने और आंशिक बादल छाए रहने के साथ वर्षा नहीं होने की संभावना है। वहीं 31 अगस्त से 3 सितंबर तक अधिकतम तापमान 36 डिग्री व न्यूनतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस रहने तथा आंशिक रूप से बादल छाए रहने की संभावना है। मेले में पैदल चलने वालों के लिए हवा भी राहत का काम करती हैं। मौसम केन्द्र के अनुसार 31 अगस्त को 14 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलेगी। वहीं अगले दिन एक सितंबर को 16 किमी, 2 सितंबर को 17 किमी व मेले वाले दिन 3 सितंबर को 20 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएँ चलने की संभावना है। वहीं बीबीसी मौसम के अनुसार बीकानेर में कल बुधवार दोपहर साढ़े तीन बजे बाद हल्की फुल्की बूंदाबांदी हो सकती हैं। जाहिर है कि कल बाबे के भक्तों के लिए मौसम करीब करीब अनुकूल रहने की संभावना है। किसानों के लिए सलाह 👇
आने वाले दिनो में मौसम की परिस्थितियों के कारण मूँगफली व अन्य फसलों में म्लानि के लक्षण आ सकते है अतः
आवश्यकतानुसार सिंचाई करें बारानी फसलों में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई करके नमी संरक्षण का प्रयास करें।
आने वाले दिनो में मौसम की परिस्थितियों के कारण खरीफ फसलों में कीट एवं रोगों का प्रकोप होने की सम्भावना है अतः खेत लगातार निगरानी रखे जिससे फसलों पर होने कीट एवं व्याधियों के प्रकोप का पता लग सके।
आने वाले दिनो में मौसम की परिस्थितियों के कारण मूँगफली की फसल में टिक्का रोग के प्रकोप की संभावना है। अतः किसान भाई इसके नियंत्रण के लिए मैंकोजेब या क्लोरोथेलोनेल 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से प्रयोग करें।
ग्वार एवं अन्य दलहनी फसलों में रस चूसने वाले कीड़ों (हरा तेला, सफ़ेद मक्खी, मोयला आदि) का प्रकोप होने पर असिटामीप्रिड या थायोमिथाक्सोम नामक रसायन का 3 ग्राम प्रति 10 लीटर या इमिडाक्लोप्रीड 3 मिली प्रतिलीटर की दर से पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
दलहनी फसलों में पत्ती काटने वाले कीड़ों का प्रकोप होने पर क्यूनोल्फोस 2 मिली या मोनोक्रोटोफोस 1.5 मिली प्रति लीटर की दर से पानी में मिलाकर छिडकाव करें।
वर्तमान और आने वाले दिनो की मौसम की परिस्थितियों के कारण ग्वार की फसल में जीवाणु झुलसा रोग होने की सम्भावना है। किसानों को सलाह है कि रोग के लक्षण दिखाई देते ही 2.5 ग्राम स्ट्रेप्टो साइक्लिन को 30 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड को 10 लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करे।
पशुओं में एल एस डी (लम्पीस्किन बीमारी) का प्रकोप बढ़ रहा है, अतः बीमारी का शीघ्र पता करने के लिए पशु बाड़े में प्रतिदिन जाते रहे और लक्षण दिखाई देते ही प्रभावी नियंत्रण के लिए पंजीकृत पशु चिकित्सक की सलाह ले । एल एस डी के फैलाव को रोकने के लिए संक्रमित पशु को अलग बाड़े में रखने की व्यवस्था करें।