महापौर का सुशीला कंवर का धरना : ममता और दायित्व एक साथ
बीकानेर । नगर निगम आयुक्त गोपाल राम बिरड़ा व महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित के बीच मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस सम्बंध में महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित ने मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन भी संभागीय आयुक्त को दिया गया। वहीं गुरुवार रात 9:30 बजे से कलेक्ट्रेट के सामने महापौर और पार्षदों का धरना भी चल रहा है। धरने पर ममता की प्रतिमूर्ति महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित अपना पारिवारिक और संवैधानिक दायित्व निर्वहन करती हुई नजर आई। इससे पहले सीएम के नाम सौंपे ज्ञापन में महापौर व उप महापौर ने बताया कि नगर निगम आयुक्त गोपाल राम बिरड़ा द्वारा संविधान एवं कानून की सरेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रही है। आयुक्त द्वारा लगातार नियम एवं विधि विरुद्ध कार्य, माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों की अवमानना, नगर पालिका अधिनियम 2009 की अवमानना, माननीय राज्यपाल महोदय द्वारा जारी गजट नोटीफिकेशन की अवहेलना तथा संवैधानिक रूप से निर्वाचित हुई महापौर के अधिकारों का हनन किया जा रहा है।
इस सम्बन्ध में लगातार पिछले 2 माह से माननीय जिला कलक्टर महोदय. संभागीय आयुक्त महोदय, निदेशक महोदय स्वायत्त शासन विभाग, शासन सचिव महोदय स्वायत्त शासन विभाग, मुख्य सचिव तथा मंत्री को पत्रों तथा व्यक्तिशः जयपुर उपस्थित होकर मय साक्ष्य सभी प्रकरणों पर कार्यवाही हेतु निवेदन किया जा चुका है । परन्तु आज दिनांक तक आयुक्त गोपाल राम बिरड़ा पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी । वहीं 90 दिवस के कार्यकाल में नियमों के विरूद्ध तथा विधिक प्रावधानों के विरूद्ध जाकर बिरड़ा द्वारा किये गए कृत्यों के कतिपय प्रमाण की जानकारी भी संभागीय आयुक्त को दी गई।
उन्होंने ने बताया कि राजस्थान प्रशासनिक सेवा राजस्थान की सर्वोच्च प्रशासनिक सेवा पद है। ऐसी सेवा में कार्यरत अधिकारियों द्वारा इस तरह नियमों एवं विधिक प्रावधानों की धज्जियां उड़ाना, नगर पालिका अधिनियम 2009 के प्रावधानों के विपरीत असंवैधानिक एवं अलोकतांत्रिक रूप से नगर निगम की साधारण सभा की बैठक बुलाना अत्यधिक गम्भीर एवं चिंतनीय विषय है। बिरड़ा जैसे अधिकारी अपने पद के साथ सरकार एवं राजस्थान प्रशासनिक सेवा जैसे प्रख्यात सेवा को भी लज्जित कर रहे हैं। श्री बिरड़ा के इन कृत्यों से नगर निगम की छवि तो धूमिल हुई है, साथ ही नगर निगम के दैनिक कार्य एवं दायित्व भी प्रभावित हुए है ।
वर्तमान परिपेक्ष्य में राजस्थान सरकार द्वारा वृहद जनहित में शुरू किये गए इस प्रशासन शहरों के संग अभियान में जिस तरह श्री बिरड़ा द्वारा झूठे आंकडे, झूठे सर्वे, नियमों के विरूद्ध आवेदको से राशि जमा करवाना आदि कृत्य किये जा रहे है, उससे सरकार की विश्वनियता तथा लोकतांत्रिक व्यवस्था भी खतरें में है। समय पर ऐसे अधिकारियों पर कार्यवाही ना होना दूसरे अधिकारियो को ऐसे कृत्य करने की दृष्प्रेरणा देता है ।
उन्होंने निवेदन किया है कि उक्त प्रकरणों एवं संलग्न दस्तावेजों पर संज्ञान उचित कार्यवाही की जावे ताकि आमजन के बीच सरकार की साख एवं लोकतंत्र लेते हुए में विश्वास कायम रखा जा सकें । साथ ही उन्होंने बताया कि जब तक गोपाल राम बिरड़ा को आयुक्त पद से नहीं हटाया जाता है तब तक महापौर उपमहापौर सभी पार्षदों तथा जनता का यह अनिश्चितकालीन धरना जारी रहेगा ।