गंदे पानी के जमाव के कारण बंद होने के कगार पर सैंकड़ों इंडस्ट्रीज
बीकानेर। बीकानेर के करणी औद्योगिक क्षेत्र में सैंकड़ों औद्योगिक इकाईयां बंद होने के कगार पर पहुंच चुकी है। इसकी सबसे बड़ी वजह बन रही है करणी औद्योगिक क्षेत्र विस्तार योजना के एक बड़े भूभाग में स्थित गंदे पानी का तालाब। यहां बारिश के दिनों में हालात बद से बदतर हो जाते हैं। तालाब का गंदा पानी सड़क पर आ जाता है। तेज धूप व हवा की स्थिति में पूरा इलाका सड़ांध मारने लगता है। सांस लेने से घुटन तक महसूस होने लगती है। यहां के कारोबारियों का कहना है कि क्षेत्र के उद्योग अपनी उत्पादन क्षमता को फुल फील नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि सड़ांध मारते वातावरण में जरूरत के मुताबिक मजदूर नहीं मिल पा रहे हैं। इतना ही नहीं यहां उद्योग अपने प्रोडक्ट की क्वालिटी को मनचाही नहीं बना पा रहे हैं। मजबूरन कम पानी का यूज भी चिंता का कारण बन रहा है। सबसे गंभीर बात तो यह सामने आई कि क्षेत्र के फूड उद्योगों का अपने प्रोडक्ट का मनचाहा निर्यात नहीं हो पा रहा है। क्योंकि कुछ बायर इस गंदे पानी के तालाब व दूषित वातावरण का ऐतराज करते हुए संतुष्ट नहीं हो पा रहे हैं। इलाके के 58 बीघा एरिया में गंदे पानी का तालाब सड़क से दो फुट उंचा होने से क्षेत्र के ड्रेनेज का पानी रूका पड़ा है। साथ ही पानी निस्तारण की अन्य कोई जगह नहीं होने से इस औद्योगिक क्षेत्र के 551 उद्योग बंद होने की कगार पर है। कारोबारियों ने बताया कि इस गंदे पानी के तालाब से पूरे औद्योगिक क्षेत्र का एन्वायरमेंट दूषित व जहरीला हो रहा है। इसके चलते सभी मिल मालिक व मजदूरों के स्वास्थ्य पर धीरे-धीरे बुरा असर हो रहा है और निश्चित ही इन सभी की लाइफ कम हो रही है। क्षेत्र में हर समय बड़ी महामारी होने का संकट बना रहता है। इस इलाके में स्थित इकाईयों में लगे एयर कंडीशनर साल दो साल में ही तालाब की दूषित हवा से जवाब दे जाते हैं। इससे भी उद्यमियों को बड़ा नुकसान हो रहा है। ऐसे अनेक कारण वांछित औद्योगिक माहौल के प्रतिकूल बनते जा रहे हैं, लेकिन बड़ी विडम्बना यह है कि रीको कागजी औपचारिकताएं पूरी कर समस्या से पल्ला झाड़ रहा है।
औद्योगिक संगठन उठा रहे हैं आवाज
इस पूरे मामले को लेकर बीकानेर की करणी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन लम्बे समय से विभिन्न सरकारी एजेंसियों से पत्राचार कर रही हैं, लेकिन रीको की टालमटोल की नीति से समस्या आज भी यथावत है। संगठन का कहना है कि क्षेत्र के उद्यमी व मजदूर करीब 22 साल से इस प्रदूषित वातावरण में समय गुजार रहे हैं। उन्होंने सवाल खड़ा किया कि क्या उनको ताउम्र इसी वातावरण में रहना होगा, रीको के पास कोई जवाब है या नहीं? क्या उद्यमियों ने रीको से भूखंड खरीद कर कोई बड़ा गुनाह किया है?
इनका कहना है-
मेरी इकाई तो इस गंदे पानी के तालाब के ठीक सामने ही स्थित है। तालाब की दुर्गंध से असहज रहते हैं। रसायन युक्त गंदी हवा से फैक्टरी में लगे एसी का काॅपर गल जाता है। दो तीन बार ठीक करवा चुका हूं, लेकिन समस्या यथावत है। ऐसे में मजबूरन कूलर खरीदना पड़ा। कूलर बाहर की हवा अंदर फेंकता है तो दूषित हवा अंदर आती है। इस समस्या से बचाव का एक ही तरीका है रीको तालाब का कोई स्थाई समाधान निकाले।
– मुकेश चौधरी, प्रमुख, पवन झाडू इंडस्ट्रीज, करणी औद्योगिक क्षेत्र
गंदे पानी का यह तालाब करणी व बीछवाल औद्योगिक क्षेत्र में काॅमन है और इससे जुड़ी समस्या भी काॅमन है। औद्योगिक इकाईयों के वेस्ट वाटर से बने इस तालाब के कारण फूड इकाईयों को दिक्कत आ रही है। क्योंकि पानी की निकासी की व्यवस्था ही नहीं है। रीको बीकानेर इस संबंध में कुछ नहीं कर रहा है। सरकार उद्योग व उद्यमियों की सेहत के लिए तत्काल जरूरी कदम उठाए वरना यहां कारोबार करना और भी मुश्किल हो जाएगा।
– नारायणदास तुलसानी, प्रमुख नगद नारायण फूड इंडस्टरीज, बीछवाल औद्योगिक क्षेत्र
बीकानेर के इस इलाके में गंदे पानी का तालाब यहां की औद्योगिक इकाईयों के लिए नासूर बन चुका है। रीको में सुनवाई नहीं हो रही है। कारोबार प्रभावित हो रहा है। दूषित वातावरण के कारण इम्पोर्टर माल खरीदने को तैयार नहीं हो रहे हैं। ज्यादा पैसे देकर लैबर लाते हैं, लेकिन दूषित वातावरण के कारण लैबर फिर से भाग जाती हैं। इन सब कारणों के चलते यहां 551 इकाईयां बंद होने के कगार पर है।
– महेश कोठारी, अध्यक्ष, करणी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन