वसुंधरा की खराब सेहत का बेहतर उपचार है जैविक खाद
वर्मी कम्पोस्ट ड्रेमोस्ट्रेशन एवं पौधारोपण के महत्व पर चर्चा का आयोजन
बीकानेर। कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय, भारत सरकार के सौजन्य से जिले में संचालित जन शिक्षण संस्थान, बीकानेर की ओर से स्वच्छता पखवाड़ा के तहत आज नाल रोड स्थित हैप्पी गार्डन नर्सरी में वर्मी कम्पोस्ट डेमोस्ट्रेशन एवं पौधारोपण के महत्व पर चर्चा का कार्यक्रम आयोजित किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता नर्सरी के संस्थापक निखिल स्वामी ने वर्मी कम्पोस्ट ड्रेमोस्ट्रेशन एवं पौधारोपण के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि जैविक खाद (वर्मी कम्पोस्ट) का कृषि में अधिकाधिक उपयोग करने से जमीन की उपजाऊ क्षमता बनी रहती है, उत्पादन की गुणवता बढ़ती है और साथ ही मानव जीवन को नुकसान भी नहीं होता। निखिल स्वामी ने जैविक खाद (वर्मी कम्पोस्ट) बनाने का डेमोस्ट्रेशन देते हुए वर्मी कम्पोस्ट के आवश्यक घटकों, उपकरण, संसाधन, उत्पादन लागत, केंचूओं का रखरखाव, गोबर की तैयारी के साथ-साथ वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग करने के तरीकों की प्रायोगिक जानकारी देते हुए पौधारोपण पर भी अलग से जानकारी दी। आपने कहा कि घरों में पौधारोपण करते समय हमें उसमें घर की बनी खाद का उपयोग जिसमें किचन के अपशिष्ट पदार्थों से बनी खाद का उपयोग करना चाहिए।
कार्यक्रम के प्रारंभ में कार्यक्रम अधिकारी महेश उपाध्याय ने कहा कि अधिक उत्पादन के लालच में जिस स्तर पर कृषि क्षेत्रों में रासायनिक केमिकलों एवं पदार्थों का उपयोग प्रचलित हुआ है उससे एक ओर तो जमीन के साथ उत्पादन की गुणवत्ता प्रभावित हुई दूसरी ओर इनके प्रयोग से कृषकों सहित आमजन का स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ा रहा है। इसे रोकने का सबसे अच्छा माध्यम वर्मी कम्पोस्ट है।
संस्थान के कार्यक्रम सहायक उमाशंकर आचार्य ने बताया कि आगामी दिनों में स्वच्छता पखवाड़े के तहत जन शिक्षण संस्थान, बीकानेर द्वारा कई गतिविधियां आयोजित की जायेगी जिसमें पौधारोपण, सेनेटरी पैड जागृति हेतु घर-घर सर्वे व संवाद, शौचालय का महत्व एवं प्लास्टिक प्रदूषण जागरूकता कार्यक्रम, सामूहिक श्रमदान आदि है।
इस मौके पर कार्यक्रम सहायक तलत रियाज ने कहा कि हमें अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ रखने के लिए ऐसी गतितिधियों का आयोजन करते रहना चाहिए। संस्थान के संदर्भ व्यक्ति एवं प्रशिक्षणार्थी जिसमें प्रीति व्यास, आशना, गीता कच्छावा, अनिता लुणू, अवंतिका ओझा, मन्जु देवी ओझा, आरती सुथार और अंकिता जाजड़ा] विष्णुदत्त मारू और गौरी ने सक्रिय भूमिका निभाई।