राजस्थान सरकार : काम करो वर्ना सत्ता से हो जाओगे बाहर
बीकानेर /चुरू । बार बार गुहार लगाने पर भी यदि सरकार जनता की पीड़ा नहीं सुने तो समझो उस सरकार के उल्टे दिन आ गए हैं। सत्ता मद में अपने वोटरों की उपेक्षा करने वाली सरकार को आने वाले चुनावों में मुंह की खानी पड़ सकती है। जनता के काम नहीं होंगे तो वर्तमान सरकार को जनता भी बाहर का रास्ता दिखाने के लिए तैयार बैठी हैं। बीकानेर में चयनित बेरोजगार शिक्षकों में भी इस बात की चर्चा आम है कि पिछले 23 साल में कांग्रेस ने उन्हें केवल मीठी गोली ही दी है और इस बार उनके साथ न्याय नहीं होगा तो आने वाले चुनावों में परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे सरकार। इधर प्रदेश के समायोजित शिक्षाकर्मियों के साथ हो रहा भेद-भाव जग जाहिर है। यह एक बड़ा वर्ग है जो सरकार की अनसुनवाई से हैरान परेशान, चिंतित व दुखी हैं। क्या ऐसी परिस्थिति में सरकार ऐसे वोटरों पर सवार हो कर सत्ता वापसी की उम्मीद लगा सकतीं हैं। राजस्थान सरकार को यह समझना होगा कि उसने प्रदेश में मुफ़्त दवा योजना शुरू की थी, लेकिन चुनाव आते ही उसी जनता ने कांग्रेस सरकार का उपचार कर दिया। स्पष्ट है कि जनता मुफ्त योजनाओं से नहीं बल्कि काम करने वाली सरकारों को ही दुबारा मौका देती है। जनता के कुछ काम ऐसे भी होते हैं जो नहीं होने पर उनको बुरी तरह से इरिटेट करते हैं और उन में से एक काम यह है कि समायोजित शिक्षाकर्मियों के सेवानिवृत्ति उपरान्त बकाया परिलब्धियों के भुगतान को लेकर सरकार से पत्राचार पर पत्राचार हो रहा है, लेकिन कहीं कोई सुनवाई ही नहीं हो रही है। इस मामले में सरकार पर पेंशनभेद का आरोप भी लग रहा है। 👇
नहीं तो आन्दोलन के लिए होंगे विवश बीती 6 जुलाई को राजस्थान समायोजित शिक्षाकर्मी संघ के प्रदेश अध्यक्ष सरदार सिंह बुगालिया व प्रदेश महामंत्री शिव शंकर नागदा ने शिक्षा मंत्री डॉ बी डी कल्ला को पत्र लिखकर समायोजित शिक्षाकर्मियों की सेवानिवृत्ति उपरान्त बकाया परिलब्धियों के भुगतान करने की मांग की है। पत्र में उन्होंने बताया कि प्रदेश के पूर्ववर्ती अनुदानित महाविद्यालयों व विद्यालयों से 1 जुलाई 2011 को राजस्थान स्वेच्छाया ग्रामीण शिक्षा सेवा के अन्तर्गत राज्य सेवा में समायोजित शिक्षाकर्मियों द्वारा अपनी अधिवार्षिकी पूरी कर सेवानिवृत्ति प्राप्त करने पर उन्हें प्राप्त होने वाली परिलब्धियों (अधिशेष अनुपार्जित अवकाश नगदीकरण लाभ व उपादान ग्रेच्यूइटी) का भुगतान माह दिसम्बर 2021 के बाद से सरकार द्वारा नहीं किया जा रहा है।
इन शिक्षा कर्मियों को राज्य सरकार द्वारा पुरानी पेंशन न देने से ये शिक्षाकर्मी आर्थिक विपन्नता से ग्रस्त हैं तथा ये राशि भी सरकार द्वारा न दिए जाने से इनकी आर्थिक व मानसिक परिस्थितियां और भी विषमतम होती जा रही हैं ।
संघ इन कार्मिकों को सेवानिवृत्ति पर प्राप्त होने वाले लाभों का भुगतान अविलम्ब तथा भविष्य में सेवानिवृत्ति पर ही कराने का आग्रह करता है । इसके अभाव में कर्मचारी वर्ग को आन्दोलन हेतु विवश होना पड़े तो समस्त उत्तरदायित्व प्रदेश सरकार का होगा।
आरजीएचएस में लिमिट बढ़ाने का विकल्प ही नहीं है
संघ ने पिछले दिनों आरजीएचएस परियोजना निदेशक को पत्र लिखकर एन.पी.एस. पेंशनधारकों के आजीएचएस कार्ड में आउटडोर चिकित्सा सुविधा दवाओं के लिए 20 हजार रुपये की सीमा को बढ़ाने का विकल्प उपलब्ध करवाने के लिए आग्रह किया था।
उन्होंने बताया कि राज्य में मुख्यमंत्री द्वारा एन. पी. एस. को समाप्त कर पुरानी पेंशन राज्य कर्मचारियों के लिए लागू कर दी गई है। लेकिन एन. पी. एस. पेंशनधारकों को जारी आर. जी. एच. एस. कार्ड के साफ्टवेयर में अभी तक बदलाव नहीं किया गया है। अत: जब भी किसी पेंशनधारक की दवा खरीदने की सीमा 20 हजार रुपये पूरी हो जाती है और वह इस सीमा को बढ़ाने के लिए निर्धारित प्रक्रिया से ऑनलाइन आवेदन करने का प्रयास करता है तो वहां ‘लिमिट बढ़ाने’ (Limit Enhancement) का विकल्प ही प्रदर्शित नहीं हो रहा है । जबकि पूर्व से ही पुरानी पेंशनधारकों के कार्ड में यह विकल्प मौजूद है।
जब राज्य में पुरानी पेंशन बहाल कर दी गई है तो सभी पेंशनधारकों को एक समान सुविधा मिलनी चाहिए। लिमिट न बढ़ पाने के कारण एन. पी. एस. पेंशनधारक बाजार में दवा खरीदने पर मजबूर हैं। उन्होंने आग्रह किया कि एन.पी.एस. पेंशनधारकों को भी पुरानी पेंशनधारकों के अनुरूप सुविधा दिए जाने का विकल्प साफ्टवेयर में संशोधन कर अविलम्ब प्रदान करने का कष्ट करें, ताकि जरूरतमंद पेंशनधारक अपना इलाज समुचित ढंग से करवाकर लाभान्वित हो सकें ।ज्ञातव्य है कि एन. पी. एस. पेंशनधारकों ने भी 10 वर्ष के लिए निर्धारित राशि एक मुश्त नियमानुसार जमा करवाई है ।