अनुसंधान प्रयोगशालाओं और उद्योगों में सामंजस्य अनिवार्य : डॉ सीमा विनायक
सीरी में हुआ सामरिक एवं सामाजिक उद्देश्यों के लिए विकसित प्रौद्योगिकियों से संबंधित इंडस्ट्री–कनेक्ट34 कार्यक्रम का आयोजन
पिलानी, 29 जून। स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में देशभर में मनाए जा रहे आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रमों की शृंखला के अंतर्गत राजस्थान राज्य के पिलानी क्षेत्र में स्थित इलेक्ट्रॉनिक्स अनुसंधान प्रयोगशाला सीएसआईआर-सीरी में ‘आई-कनेक्ट34‘ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। एयरोस्पेस, इलेक्ट्रॉनिक्स तथा इंस्ट्रूमेंटेशन एवं स्ट्रैटेजिक सेक्टर (ए ई आई एस एस) थीम के अंतर्गत सामरिक एवं सामाजिक उद्देश्यों के लिए विकसित प्रौद्योगिकियों से संबंधित ऑन लाइन आयोजित किए गए कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के निदेशक डॉ पी सी पंचारिया ने की। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में एस एस पी एल – डी आर डी ओ, नई दिल्ली की निदेशक डॉ सीमा विनायक उपस्थित थीं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्थान के निदेशक डॉ पी सी पंचारिया ने सभी अतिथियों एवं वक्ताओं का स्वागत किया और आयोजन की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉ पंचारिया ने आई-कनेक्ट की संकल्पना तैयार करने और इसे मूर्तरूप देने के लिए संबंधित अधिकारियों की सराहना की। उन्होंने आई-कनेक्ट संकल्पना की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन उद्योग जगत सहित नए स्टार्ट अप्स, एमएसएमई आदि के बीच संपर्क स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि आयोजन के उपरांत भी महत्वपूर्ण बिंदुओं का उचित क्रियान्वयन भी बहुत ज़रूरी है। विशिष्ट अतिथि डॉ सीमा विनायक, निदेशक, एसएसपीएल-डीआरडीओ, नई दिल्ली ने माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ फॉर डिफेंस एप्लीकेशंस विषय पर आमंत्रित व्याख्यान भी दिया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि देश की अनुसंधान प्रयोगशालाओं और उद्योग जगत के बीच सामंजस्य अनिवार्य है।
अपने व्याख्यान के माध्यम से डॉ सीमा विनायक ने वैज्ञानिकों द्वारा प्रतिरक्षा क्षेत्र में देश की आत्मनिर्भरता के लिए किए जा रही गतिविधियों पर प्रकाश डाला और माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों के विभिन्न अनुप्रयोगों की चर्चा की। इस अवसर पर सीएसआईआर मुख्यालय के प्रधान वैज्ञानिक डॉ देवेन्द्र सिंह ने आई-कनेक्ट कार्यक्रम की उपयोगिता को रेखांकित करते हुए सीएसआईआर की स्थापना के उद्देश्यों की जानकारी दी।
इसके अलावा कार्यक्रम के तकनीकी सत्र के दौरान सीएसआईआर-सीरी के डॉ अयन बंद्योपाध्याय, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक ने हाईपावर माइक्रोवेव एंड टेराहर्ट्ज डिवाइसेज एंड टेक्नोलॉजीज़; डॉ सुचंदन पाल, मुख्य वैज्ञानिक ने सेमिकंडक्टर डिवाइसेज़ एंड टेक्नोलॉजीज़; डॉ संजय सिंह, प्रधान वैज्ञानिक ने एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम्स तथा सीएमईआरआई, दुर्गापुर की मुख्य वैज्ञानिक डॉ अंजलि चटर्जी ने टेक्नोलॉजीज़ फॉर सोसाइटी विषयों पर अपने प्रस्तुतीकरण दिए। तकनीकी सत्र के अंत में संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ विजय चटर्जी ने ओवरव्यू ऑन टेक्नोलॉजीज़ पर डॉक्युमेन्ट्री प्रस्तुत की।
तकनीकी सत्र के उपरांत शोध एवं विकास प्रयोगशालाओं और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए उद्यागों के बीच सहयोग व समन्वय बढ़ाने संबंधी अवसर तथा चुनौतियाँ (अपॉर्चुनिटीज़ एंड चैलेन्जेज़ फॉर एन्हान्सिंग कोलैबोरेशन अमंग आर एंड डी लैब्स एंड इन्डस्ट्रीज़ फॉर इलेक्ट्रॉनिक्स) विषय पर परिचर्चा सत्र के दौरान विचार विमर्श किया गया। परिचर्चा सत्र में केंद्र एवं राजस्थान सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों सहित उद्योग जगत के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए।
परिचर्चा के दौरान टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स के उपाध्यक्ष सुरेश बारोथ, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बैंगलूरु के उप-महाप्रबंधक रंजय लाहा, राजस्थान सरकार के उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के संयुक्त निदेशक एवं सीईओ पी आर शर्मा, मेसर्स पैनेशिया मेडिकल टेक्नोलॉजीज़ प्रा. लि. के प्रबंध निदेशक जी वी सुब्रह्मण्यम, सहस्र ग्रुप ऑफ कंपनीज़ के अध्यक्ष अमृत मनवानी, टेक्नोलॉजी डेवलपमेन्ट बोर्ड, भारत सरकार के वैज्ञानिक एफ नवनीत कौशिक तथा राजस्थान इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंस्ट्रुमेन्ट्स लि. (रील), जयपुर के अपर महाप्रबंधक नीरज सक्सेना शामिल थे। परिचर्चा सत्र का संचालन प्रधान वैज्ञानिक प्रमोद तँवर ने किया।
इससे पूर्व कार्यक्रम के समन्वयक एवं संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ रवीन्द्र मुखिया और जयपुर केंद्र के प्रभारी वैज्ञानिक साईं कृष्णा वड्डादि ने कार्यक्रम सभी अतिथियों एवं वक्ताओं का स्वागत किया तथा सभी प्रतिभागियों को कार्यक्रम की रूपरेखा से अवगत कराया। कार्यक्रम के अंत में डॉ अभिजीत कर्माकर, मुख्य वैज्ञानिक ने धन्यवाद ज्ञापित किया।