भरी बरसात में 9 कि.मी. का विहार कर महाश्रमण पहुंचे हंशा रिसोर्ट
-शान्ति प्राप्ति का शान्तिदूत आचार्यश्री महाश्रमण ने दिया सन्देश
-छापर चतुर्मास बाद बायतू से पहले आचार्य भिक्षु समाधिस्थल जाने की घोषणा
बीकानेर । अपनी पदयात्राओं द्वारा मानव मानव को सदाचार पर चलने की राह दिखाने वाले अहिंसा यात्रा प्रणेता युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी अपनी धवल सेना के साथ अब सन् 2022 के चातुर्मास के लिए छापर की ओर गतिमान है। आज प्रातः आचार्यश्री ने जयपुर बायपास पर स्थित बोथरा फार्म हाउस से मंगल विहार किया। इतने दिनों से जहां मौसम आकाश से गर्मी बरसा रहा था वहीं आज सुबह से ही ठंडी हवाएं चल रही थी। विहार के थोड़े समय पश्चात ही आकाश में काले बादल उमड़ आए और हल्की आंधी के बाद तेज बरसात चालू हो गई। जनकल्याण के लिए निरंतर प्रवर्धमान रहने वाले समत्व साधक आचार्यश्री महाश्रमण प्रकृति के विविध रूपों के बीच लगभग 09 किमी विहार कर रायसर स्थित हंशा गेस्ट हाउस में पधारे।
मंगल प्रवचन में शांतिदूत ने कहा की जीवन में शांति का बहुत महत्व होता है। हर कोई सुख से जीना चाहता है। अशांति किसी को प्रिय नहीं होती। व्यक्ति के पास बहुत पैसा है, संपति है किंतु उससे शांति मिले यह जरूरी नहीं। इन भौतिक संसाधनों से सुविधा मिल सकती है किंतु शांति मिले यह जरूरी नहीं। शांति साधना के द्वारा मिलती है क्योंकि साधना ही शांति का आधार है। शांति त्याग, संयम, अध्यात्म के द्वारा प्राप्त होती है।
आचार्यप्रवर ने एक कथानक के माध्यम से आगे बताया की जीवन में संतोष होना परम आवश्यक है। अधिक लालसा, क्रोध, लोभ जैसे दुर्गुण शांति के बाधक तत्व है। आज योग दिवस है। योग अध्यात्म का एक महत्वपूर्ण अंग है। योग, ध्यान द्वारा साधना में आगे बढ़ा जा सकता है। हमारी दिनचर्या में ध्यान, कायोत्सर्ग आदि रूप में प्रतिदिन कुछ समय योग, अध्यात्म का जुड़े यह आवश्यक है।
मंगल प्रवचन के दौरान अचानक आचार्यश्री ने सन्तों के साथ चिन्तन कर एक निर्णय फरमाते हुए कहा कि सन् 2022 के छापर चतुर्मास के बाद बायतू मर्यादा महोत्सव से पहले आचार्य भिक्षु समाधिस्थल, सिरियारी जाने का भाव है। आचार्यश्री के इस निर्णय से उपस्थित श्रद्धालु हर्षित हो उठे।
इस अवसर पर आराध्य का अभिनंदन करते हुए हंसराज डागा, रजनी नाहटा, धर्मेंद्र डाकलिया ने अपने विचारों की प्रस्तुति दी । शारदा डागा आदि बहनों ने स्वागत गीत का संगान किया।