विरोध : मास्टर जी को टेलर मास्टर बनाने की तैयारी
बीकानेर । विद्यार्थियों की स्कूल यूनिफॉर्म सिलाने की जिम्मेदारी अब शिक्षकों पर डालने का राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) ने विरोध जताया है। इस सम्बंध में संगठन ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर विद्यार्थियों को कपड़े के स्थान पर रेडीमेड स्कूल यूनिफॉर्म वितरित करवाने के निर्देश जारी करने की बात रखी है। संगठन की विज्ञप्ति के अनुसार समग्र शिक्षा अभियान द्वारा आठवीं कक्षा तक के लगभग 70 लाख बालकों के लिए 2 जोड़ी स्कूल यूनिफॉर्म को लेकर 425 रुपये में कपड़ा क्रय कर 175 रुपये प्रति ड्रेस सिलाई की जिम्मेदारी स्कूल प्रबंध कमेटी को देने की तैयारी चल रही है।
संगठन का कहना है कि बालकों की स्कूल ड्रेस सिलवाने का काम शिक्षकों को सौपना दुर्भाग्यजनक है। खेद का विषय है कि संगठन द्वारा लगातार पत्र एवं अन्य माध्यमों से सरकार एवं विभाग को शिक्षकों से करवाये जा रहे गैर-शैक्षणिक कार्यों पर अंकुश लगाने तथा बालकों को पढ़ाने के पर्याप्त अवसर प्रदान करने की मांग करने के बावजूद भी लगातार गैर-शैक्षणिक कार्य शिक्षकों पर थोपे जा रहे हैं। बाजार में एक पेट-शर्ट की प्रचलित सिलाई दर 600 रुपये तथा एक सलवार-कुर्ता की 250 रुपये है। जबकि संगठन को मिली जानकारी के अनुसार विद्यालयों को 175 रुपये में दो ड्रेस सिलवाने होंगे। सिलाई दर का निर्धारण नितान्त अव्यावहारिक है। कपड़े को विद्यालय तक पहुंचाने, नाप लेने, बालक के नहीं मिलने पर किसी अन्य दिन नाप लेने सिलाई करवाने, सिलाई कर्ता टेलर को स्कूल बुलाने, ड्रेस लाकर वितरित करने, छोटा-बड़ा होने पर सही करवाने, ड्रेस वितरण का रिकॉर्ड रखने और तैयार करने आदि अनेक कार्यों में शिक्षकों का काफी समय नष्ट होगा। सिलाई की गुणवत्ता के विषय में अभिभावकों एवं विद्यार्थियों के संतुष्ट नहीं होने पर शिक्षकों को ही उनके आक्रोश का भी सामना करना पड़ेगा।
इस संपूर्ण परिपेक्ष में संगठन का अभिमत है कि कपड़े के स्थान पर सीधे सिलाई की हुए रेडीमेड यूनिफॉर्म ही विद्यार्थियों को वितरित किए जाए। ताकि सम्पूर्ण राज्य में कपड़े की क्वालिटी व सिलाई की गुणवत्ता व समरूपता बनी रहे। बाजार में बालक-बालिकाओं की आयु के अनुसार नाम के स्कूल ड्रेस आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। सरकारी विद्यालयों के बालकों के लिए भी रेडीमेड यूनिफॉर्म उपलब्ध करवाने की व्यवस्था समीचीन होगी।
संगठन तथा शिक्षकों के अभिमत से अवगत कराते हुए आग्रह है कि राज्य सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए रेडीमेड ड्रेस उपलब्ध करना ही एकमात्र उपाय है। इससे संपूर्ण राज्य में कपड़े एवं सिलाई की एकरूपता और गुणवत्ता को नियंत्रित किया जाना आसानी से संभव होगा। साथ ही विद्यालयों, शिक्षकों और अभिभावको को भी राहत मिल पाएगी।