सहर्ष अपने राज्य अखंड भारत में विलय करने वाले राजाओं की कोई चर्चा क्यों नहीं…
बीकानेर । भारतीय जन स्वाभिमान मंच राजस्थान की आज की बैठक में संगठन के संयोजक विनोद कुमार सियाग ने कहा कि वर्तमान में पूरा भारत स्वतंत्रता (अंग्रेजों पर विजय) का अमृत महोत्सव मना रहा है। इस अमृत महोत्सव में भारत को एकीकृत करने, देश को अखंड बनाने में जिन राजाओं ने अपने राज्य अखंड भारत में विलय किए, उन राजाओं की कोई भी चर्चा नहीं कर रहा है। हमारा राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से आग्रह है कि आजादी के इस अमृत महोत्सव में भारत की 527 रियासतों ने सहर्ष अपने साम्राज्य का विलय अखंड भारत में किया, जनता के बनाए संविधान को स्वीकार किया, उनके इस महान योगदान को याद करने के लिए इस अमृत महोत्सव के वर्ष में प्रत्येक रियासत की राजधानी जो उस समय रही है, उसमें विलयकरण स्तंभ बनाकर, उनके योगदान को याद किया जाए।
आज यदि कोई पार्षद, सरपंच या किसी पार्टी का अध्यक्ष बन जाता है, वह भी अपने पद को छोड़ने के लिए तैयार नहीं होता, परंतु पीढ़ी दर पीढ़ी राज करने वाले राजाओं ने एक झटके में अपने साम्राज्य का विलय भारत के एकीकरण में कर दिया। इससे बड़ा योगदान शायद ही किसी का होगा और आज उन राजाओं के वंशजों की स्थिति बड़ी दयनीय है,उनके विषय में कोई भी सरकारे नहीं सोच रही है और इन राजाओं ने अपने लिए कुछ नहीं मांगा, न हीं आरक्षण मांगा, ना ही कोई सुविधा मांगी, तत्कालीन भारत सरकार ने इन राजाओं के साथ जो व्यवहार किया वह बिल्कुल सही नहीं रहा। अब वर्तमान सरकार को इन राजाओं के योगदान को याद करते हुए इनके लिए कुछ बड़ा करना चाहिए और उनको मान सम्मान देकर आने वाले पीढ़ी को उनके योगदान के विषय में बताना चाहिए।
बैठक में संगठन के प्रेमसिंह घुमांदा ने कहा कि दूसरा आग्रह है कि भारत को विजय दिलवाने के लिए लाखों भारतवासी बलिदान हुए, हमें अंग्रेजों के शासन से मुक्ति लाखों-करोड़ों के बलिदानों से मिली है।
जब किसी बलिदान से कोई चीज प्राप्त होती है और दूसरी शक्ति हमें अपना राज्य सौंप दी है, तो उसे विजय कहा जाता है और हमने अंग्रेजों पर विजय प्राप्त की है, ना कि हमें अंग्रेजों ने स्वतंत्रत किया है।
संगठन का मानना है, स्वतंत्रता से हीन भावना का बोध होता है, हमारी आने वाली पीढ़ी स्वयं को हीन महसूस करती है, और “विजय दिवस” से गर्व का अनुभव होता है, हमारी आने वाली पीढ़ी अपने पूर्वजों पर गर्व करेगी, कि उन्होंने अंग्रेजों को हराकर भारत को पुनः प्राप्त किया।
संगठन का भारत सरकार से निवेदन है कि यह दोनों कार्य अतिशीघ्र करके भारतवासियों को सम्मान प्रदान करें। 15 अगस्त 1947 को भारत ने अंग्रेजों पर विजय प्राप्त की। इसलिए इस अमृत महोत्सव में स्वतंत्रता के स्थान पर “विजय दिवस” के रूप में 15 अगस्त को प्रतिवर्ष मनाया जाए, ऐसा विधान पारित कर भारत के स्वाभिमान को जागरूक करें।
इस अवसर पर एडवोकेट सुनील आचार्य ने बताया कि हम इस विषय को लेकर माननीय सांसदों से मिलेंगे और रजिस्ट्रार लोकसभा, राज्यसभा में भी अपना प्रतिवेदन देंगे,ओर जनजागृति अभियान चलायेंगे।यह अभीयान जब तक सरकार हमारी मांग नहीं मानेगी तब तक जारी रहेगा।
आज की बैठक में पार्षद अनूप गहलोत,शीशपाल गिरी गोस्वामी, अधिवक्ता जलजसिंह, रणवीर सिंह, मनोहर सिंह, अश्वनी बरेनिया, सुशील कुमार सुथार, विष्णु राजपुरोहित, चांदवीरसिंह, राजेंद्र सिंह कक्कू, राम कुमार सोलंकी, दीपक गहलोत, सरवन सिंह राठौड़, महेंद्र सिंह तंवर, बैरिशाल सिंह
बैठक में वक्ताओं ने हिंदू सूर्य महाराणा प्रताप की जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। बैठक की अध्यक्षता सूरजमालसिंह नीमराना ने की व संचालन उमाशंकर सोलंकी ने किया।