शिक्षकों को ग्रीष्मावकाश के दौरान विद्यालय संबंधी कार्य कराने का विरोध
बीकानेर । राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय बीकानेर के जिला अध्यक्ष मोहनलाल भादू ने बताया कि शिक्षा विभाग राजस्थान सरकार द्वारा 17 मई से ग्रीष्मावकाश घोषित किया गया है। इससे पूर्व लगातार दो वर्ष कोरोना जैसी विश्वव्यापी महामारी को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी शिक्षकों को दिए जाने के कारण ग्रीष्मावकाश रद्द कर दिया था शिक्षकों ने जिला प्रशासन के निर्देशानुसार कोरोना महामारी की जिम्मेदारी का निष्ठा पूर्वक निर्वहन किया। लेकिन इस बार सभी शिक्षकों ने यही सोचा था कि ग्रीष्मावकाश में अपने घर परिवार से दूर रहकर जिन सामाजिक एवं पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन पिछले 2 वर्षों से नहीं कर पा रहे थे उन समस्त जिम्मेदारियों का निर्वाह इस ग्रीष्मावकाश के दौरान अच्छी तरह से कर सकेंगे।
संगठन के जिला मंत्री नरेन्द्र आचार्य के अनुसार अनुभव विहीन अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा एक के बाद एक तुगलकी आदेश जारी कर शिक्षकों के ग्रीष्मावकाश पर कैंची चला दी है।


जिला महिला मंत्री चन्द्रकला भादाणी ने बताया कि जिले में कार्यरत कई महिला शिक्षकों को अपने बच्चों एवं परिवार की जिम्मेदारी निर्वहन का यह मौका 2 साल से मिला है, लेकिन वे शिक्षा विभाग के इन आदेशों से बहुत दुखी है। अभिभावकों एवं सरकार की नजरों में सभी शिक्षकों का ग्रीष्मावकाश घोषित किया जा चुका है, लेकिन आज राजस्थान के समस्त शिक्षक इन बेतुके आदेशों से प्रताड़ित है।
शिक्षा विभाग राजस्थान सरकार द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार शाला दर्पण पोर्टल पर आधार एवं जन आधार का वेरिफिकेशन कार्य ग्रीष्मावकाश के दौरान स्टाफ विंडो से करने के निर्देश जारी हुए हैं। साथ ही जो मध्यान्ह भोजन की सामग्री सर्दियों के मौसम में विद्यार्थियों को वितरित करनी थी उसका भी वितरण का उचित समय मई और जून के महीने में समझ कर वितरित किया जा रहा है। कोरोना काल में विद्यार्थियों की पढ़ाई की क्षतिपूर्ति के लिए वर्क बुक का वितरण भी इसी अवधि में पूर्ण करना है। इससे यह साबित होता है शिक्षा विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को यह भी पता नहीं है कि शिक्षक वर्तमान में ग्रीष्म अवकाश के दौरान अपने घर पर है या विद्यालय में ही बैठा है।
जिला सभाध्यक्ष कैलाशदान ने कहा कि वर्तमान में जारी आदेशों के समस्त कार्य जब शिक्षक विद्यालय में रहता है तभी पूर्ण रूप से संभव हो सकता है आधार एवं जन आधार अपडेशन के लिए अभिभावकों के हस्ताक्षर चाहिए एवं उनमें कोई संशोधन करना है वह भी अभिभावक ही कर सकता है उनकी सहमति आवश्यक है कई अभिभावकों पास में फोन भी नहीं है जिससे शिक्षक उनसे संपर्क करके विद्यार्थियों की त्रुटि संबंधी जानकारी दे सके। कई विद्यार्थी एवं अभिभावक अपने गांव से दूर पशुपालन एवं मजदूर के रुप में बाहर गए हुए हैं। उनके टेलीफोन भी नहीं लग रहे हैं। शिक्षक अभिभावकों से संपर्क करने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है, लेकिन उसकी परेशानी को विभाग नहीं समझ रहा है और कोई नेटवर्क भी नहीं है। इसी दरमियान बिजली कटौती होने से मोबाइल भी काम अच्छी तरह से नहीं कर पा रहा है ।
जिला संगठन मंत्री लेखराम गोदारा ने कहा कि शिक्षकों ने इस आदेश की पालना के लिए खूब प्रयास किए, लेकिन ऐसी तकनीकी समस्याएं इस मॉडयूल में आ रही है जिस से शिक्षक मेहनत करने के उपरांत भी आधार जनाधार का सत्यापन नहीं कर पा रहे हैं। वास्तविक उपलब्धि प्राप्त न होने पर विभागीय अधिकारियों द्वारा उच्च अधिकारियों के निर्देशों के पालना में शिक्षकों को नोटिस देकर धमकाया जा रहा है एवं कार्रवाई की धमकी दी जा रही है जिससे समस्त शिक्षक वर्ग में असंतोष एवं आक्रोश व्याप्त है। वह मानसिक रूप से बहुत परेशान हो चुके हैं। उन्हें यह लग भी नहीं रहा है कि हम ग्रीष्मावकाश में हैं या विद्यालय में ही उपस्थित है।
जो शिक्षक स्थानीय है वे नियमित रूप से विद्यालय जाकर अभिभावकों से संपर्क करने का पूर्ण प्रयास कर रहा है, फिर भी अभिभावक सहयोग नहीं दे रहे हैं। आधार कार्ड बनाने में अभिभावकों ने विद्यालय से संपर्क नहीं किया। उन्होंने अपने हिसाब से ही विद्यार्थी की जन्मतिथि लिखवा दी है जिससे आधार कार्ड एवं शाला दर्पण में दर्ज जन्मतिथि का मिलान नहीं हो रहा है। यह समस्त संशोधन ईमित्र के माध्यम से ही संभव है एवं आधार कार्ड के लिए जिला प्रशासन द्वारा जिला
मुख्यालय पर स्थित कुछ ई मित्रों को ही इसकी अनुमति दी गई है। जिसके लिए अभिभावकों को इन ई मित्रों पर जाना आवश्यक है जो कि शिक्षकों के कारण अभिभावक कहना नहीं मान रहे हैं। वे बोल रहे हैं कि जब हमारा दूसरा काम होगा तभी हम इस कार्य को भी साथ करवा कर लाएंगे, लेकिन विभाग शिक्षकों की इस समस्या को नहीं समझ पा रहा है।
कई विद्यार्थियों के जनाधार अभी तक बने भी नहीं हुए हैं। कई शिक्षकों ने जब इस कार्य को करने की कोशिश की तो उन्हें इस मॉड्यूल में ही तकनीकी खामी का होना पाया गया। जिससे यह कार्य ग्रीष्मावकाश के दौरान असंभव सा प्रतीत होता है ।
शिक्षक नेता अनोप सोनू ने कहा कि शिक्षा विभाग ने ग्रीष्मावकाश की अवधि में ही जो मध्याहन भोजन की सामग्री सर्दी के मौसम में विद्यार्थियों को वितरित करनी थी उसका समय विभाग चक्र भी ग्रीष्मावकाश के दोरान ही चुना ।
उपाध्यक्ष दानाराम भादू ने बताया कि शिक्षा विभाग का एक और आदेश शिक्षकों के लिए परेशानी बन चुका है। कोरोना काल में विद्यार्थियों की शिक्षण में जो क्षति हुई थी उसकी पूर्ति के लिए वर्क बुक की व्यवस्था की गई है जो कि शिक्षकों को इस ग्रीष्मावकाश के दौरान ही विद्यार्थियों को भेजनी है। शिक्षक असमंजस की स्थिति में है कि वह दूरदराज अपने गांव में बैठे हैं या विद्यालय में ही बैठकर सरकार के इन निर्देशों की पालना करता रहे।
नगरमंत्री महेश कुमार ने कहा कि ग्रीष्मावकाश शिक्षकों के उसको अपने घर परिवार को संभालने के लिए एवं पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के लिए प्रदान किया जाता है, लेकिन विभागीय अधिकारी को ग्रीष्मावकाश समय में शिक्षकों के लिए कोई कार्य नहीं होना मानकर अव्यवहारिक आदेश जारी कर शिक्षकों को प्रताड़ित कर रहा है । शिक्षा विभाग के इन आदेशों की संगठन कड़े शब्दों में निंदा करता है
राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के जिलामंत्री नरेन्द्र आचार्य ने शिक्षा विभाग के ग्रीष्मावकाश समय मे शिक्षकों से करवाए जाने वाले कार्य के सभी आदेशों को तुरंत निरस्त कर समस्त आदेशों की पालना जुलाई माह में ही करने के निर्देश प्रदान करने की मांग की है।