आयुक्त की हठधर्मिता बरकरार, नियम विरुद्ध की संविदा पुनर्नियुक्ति
*महापौर ने आदेश निरस्त कर किया जवाब तलब*
*कनिष्ठ लेखाकार से भी मांगा स्पष्टीकरण*
बीकानेर। नगर निगम बीकानेर को राज्य सरकार ने प्रयोगशाला बना दिया है। लगातार पिछले 28 माह में 13 आयुक्त बदले जा चुके हैं। नवनियुक्त आयुक्त गोपालराम बिरधा नियुक्ति के पहले दिन से सुर्खियों में बने हुए हैं। चाहे वह भ्रष्टाचार के आरोपों में लिप्त स्वच्छता निरीक्षक को हेल्थ ऑफिसर का कार्यभार देना हो , चाहे महापौर के आदेश निरस्त करना हो, न्यायालय के स्थगन आदेश के बावजूद गौशाला तोड़ना हो या बिना महापौर से चर्चा के साधारण सभा की बैठक बुलाना। आयुक्त नगर निगम में रोज नियम विरुद्ध बिना महापौर को संज्ञान में डाले आदेश जारी कर रहे हैं।
ताजा प्रकरण में 20 मई को आयुक्त द्वारा कार्मिक विभाग के 2017 के एक परिपत्र का हवाला देते हुए नगर निगम से सेवानिवृत्त वरिष्ठ सहायक मोहम्मद कय्यूम को संविदा पर 1 साल के लिए पुनर्नियुक्त दे दी। हालांकि 2017 के जिस परिपत्र के आधार पर नियुक्ति दी गई उसे कार्मिक विभाग द्वारा ही 2018 में अधिक्रमित (supression) किया जा चुका है। जिसके बावजूद बिना परिपत्रों का अध्ययन किए आनन फानन में आदेश जारी कर दिए गए।
मजेदार बात यह है की डीएलबी के परिपत्र अनुसार किसी भी सेवानिवृत्त कार्मिक की पुनर्नियुक्ति का अधिकार महापौर की अध्यक्षता में गठित कमेटी को है, जिसमें आयुक्त, कार्मिक शाखा प्रभारी तथा वरिष्ठतम लेखाधिकारी शामिल है। लेकिन आयुक्त ने बिना महापौर, कार्मिक शाखा प्रभारी और वरिष्ठतम लेखाधिकारी से चर्चा किए खुद ही कनिष्ठ लेखाकार से टिप्पणी करवाकर नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए। हालांकि नियमविरुद्ध हुई इस पुनर्नियुक्ति में कार्यालय टिप्पणी की श्रृंखला भी नही अपनाई गई। कनिष्ठ लेखाकार ने बिना मुख्य लेखाधिकारी और बिना उपायुक्त के सीधे आयुक्त को पत्रावली भेज पुनर्नियुक्ति की प्रक्रिया को पूरा कर दिया।
*आवेदन से लेकर आदेश भी गलत*
राजस्थान सरकार द्वारा सेवानिवृत्त कार्मिकों की पुनर्नियुक्ति हेतु आवेदन का प्रपत्र(फॉर्म) पहले से तय कर रखा है तथा पुनर्नियुक्ति के आदेश का भी एक तय प्रपत्र है। लेकिन मोहम्मद कय्यूम की पुनर्नियुक्ति प्रकरण में न तो आवेदन तय प्रपत्र में किया गया न ही आदेश तय प्रपत्र में जारी किए गए। शुरू से लेकर अंत तक पूरी प्रक्रिया ही सवालों के घेरे में है।
*महापौर ने किए आदेश निरस्त*
महापौर सुशीला कंवर ने प्रकरण का स्वतः संज्ञान लेते हुए नियमों और राजस्थान नगर पालिका अधिनियम का हवाला देते हुए आयुक्त द्वारा मोहम्मद कय्यूम की पुनर्नियुक्ति के आदेश निरस्त कर दिए हैं। महापौर ने 24 मई को आदेश जारी कर कार्मिक विभाग के 2018 के परिपत्र और स्वायत्त शासन विभाग के परिपत्र का हवाला देकर नियम विरुद्घ हुई इस नियुक्ति को निरस्त कर दिया है।
*आयुक्त को जारी किए दिशा निर्देश*
महापौर ने आयुक्त को अलग से पत्र लिखकर बिना परिपत्रों और नगर पालिका अधिनियम का अध्ययन किए जारी किए जा रहे आदेशों की वजह से धूमिल हो रही महापौर, आयुक्त पद एवं नगर निगम की छवि पर सख्ती दिखाते हुए कड़े शब्दों में भविष्य में सावधानी बरतने के निर्देश दिए हैं।
*कनिष्ठ लेखाकार से मांगा लिखित स्पष्टीकरण*
महापौर ने मुख्य लेखाधिकारी और लेखा शाखा प्रभारी को पत्र जारी कर कनिष्ठ लेखाकार प्रमोद जाट द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर और नियमों के विपरीत की गई इस नियुक्ति, प्रक्रिया और कार्यालय आदेश श्रृंखला को तोड़कर आदेश जारी कर किए गए इस कृत्य पर 2 दिवस में स्पष्टीकरण लेते हुए महापौर के रिपोर्ट करने हेतु लिखा है। गौरतलब है की कनिष्ठ लेखाकार प्रमोद जाट की भूमिका भी संदेहास्पद है। प्रमोद जाट बीकानेर नगर निगम से पूर्व रायसिंहनगर नगर पालिका में भी विवादों में रहे हैं।
महापौर ने बताया कि प्रकरण संज्ञान में आते ही आदेश जारी कर नियम विरुद्ध हुई इस पुनर्नियुक्ति को निरस्त कर दिया गया है। इस प्रकरण में संलिप्त सभी अधिकारियों से लिखित में स्पष्टीकरण मांगा गया है। यह निश्चित है की पुनर्नियुक्ति नियमविरुद्ध हुई है । रिपोर्ट आने पर दोषी कार्मिक/अधिकारी के खिलाफ स्वायत्त शासन विभाग,कार्मिक विभाग एवम उच्चाधिकारियों को अनुशासनात्मक कार्यवाही हेतु लिखा जायेगा।