छोटे व्यापारियों के लिए भी बड़े व्यापारियों की भांति जारी हो एमनेस्टी स्कीम : एडवोकेट शर्मा
बीकानेर । बीकानेर जिला उद्योग संघ के कानूनी सलाहकार एवं बीकानेर जिला उद्योग संघ अध्यक्ष द्वारकाप्रसाद पचीसिया ने कम्पोजीशन डीलर के लिए गत वर्षों के जीएसटीआर-4 पर देय विलंब शुल्क के लिए एमनेस्टी स्कीम लाए जाने तथा वर्ष 2021-22 के लिए जीएसटीआर-4 प्रस्तुत करने की समय सीमा बढ़ाने को लेकर एक पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भिजवाया। पत्र में बताया गया कि कम्पोजीशन डीलर के लिए जीएसटीआर-4 में प्रत्येक वर्ष का वार्षिक रिटर्न प्रस्तुत करने का प्रावधान है तथा देरी से प्रस्तुत करने पर प्रत्येक वर्ष के लिए रूपये 10 हजार विलंब शुल्क आरोपणीय होता है।
वर्तमान में कर निर्धारण वर्ष 2019-20 व 2020-21 के जीएसटीआर-4 के वार्षिक रिटर्न पेंडिंग पड़े हैं और छोटे छोटे करदाता जो कंपोजिशन स्कीम के तहत आते हैं के विरुद्ध वार्षिक रिटर्न नहीं भरने पर अब रूपये 10 हजार की पेनल्टी लग रही है। दूसरी ओर बड़े करदाताओं के लिए सरकार ने लेट फीस माफ़ करने की कई योजनाएं निकाल रखी है। इसी तरह नोटिफिकेशन निकालकर लेट फीस माफ़ की जाए।
कंपोजिशन डीलर के अलावा अन्य डीलर के लिए सरकार द्वारा वर्ष 2017-18 से वर्ष 2021-22 तक समय समय पर ना केवल एमनेस्टी स्कीम लागू की गई बल्कि विलंब शुल्क की अधिकतम सीमा को केवल 500 रूपये तक करके राहत प्रदान की गई है। सरकार को इन एमनेस्टी स्कीम में कंपोजिशन का विकल्प लेने वाले छोटे छोटे व्यापारियों को भी विलंब शुल्क पूर्णतया माफ़ किया जाना चाहिए अथवा विलंब शुल्क वर्तमान में 10 हजार रूपये है कम करके 500 रूपये तक किया जाना चाहिए क्योंकि कंपोजिशन डीलर बहुत छोटे व्यापारी होते हैं उनकी आर्थिक स्थिति भी ज्यादा अच्छी नहीं होती है।
इन डीलर के लिए सरकार को एमनेस्टी स्कीम की घोषणा करते हुए जीएसटीआर-4 को प्रस्तुत करने की समयावधि को 30 जून 2022 तक बढ़ा कर राहत प्रदान करनी चाहिए। साथ ही वर्तमान में जीएसटी पोर्टल पर एक नेगेटिव लेजर एवं नेगेटिव दायित्व प्रदर्शित हो रहा है जिसके कारण वर्ष 2021-22 के जीएसटीआर-4 प्रस्तुत नहीं हो रहे हैं। जिसको प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि 30 अप्रेल 2022 है जो कि अब समाप्ति की ओर है। जब तक इन नेगेटिव लेजर की समस्या का समाधान नहीं हो जाता तब तक वर्ष 2021-22 के लिए जीएसटीआर-4 की अंतिम तिथि 30 अप्रेल 2022 से बढ़ाकर 30 सितंबर 2022 की जानी चाहिए।