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आवभगत में आज भी पीछे नहीं बीकानेरी, खुशी खुशी पिला दिया 400 किलो राबड़िया

बीकानेर। सैंकड़ो साल पुराना कड़ाव और उसमें 4 क्विंटल यानी 400 किलो दूध को भट्टी पर गर्म कर गाढ़ा किया जा रहा था। इस दूध में केसर, ड्राइफ्रूट्स मिलाकर तैयार करने में जुटे थे सेवाभावी समाज बंधु। फिर हर आने जाने वाले से ‘पिलो पिलो, थकावट दूर हुई जासी’ कहकर राबड़िया पीने की मनुहार की जा रही थी। यह नजारा था बीकानेर के बारहगुवाड़ चौक का। मौका था पुष्करणा ब्राह्मण समाज के सामूहिक विवाह की परम्परा सावे की पूर्व संध्या का। इस मार्ग से होकर जाने वाली हर छिकी (गणेश परिक्रमा) में शामिल वर वधु के परिवारजनों की आवभगत की जा रही थी। सेवादार राबड़िया पिलाकर तो लोग उसे पीकर खुश नजर आ रहे थे।

कर्मचारी नेता शंकर पुरोहित बताते है कि इस राबड़िये को लजिज स्वादिष्ट बनाने में 5 घंटे की अथक मेहनत लगी और यह कार्यक्रम रात डेढ़ दो बजे तक चला। इस परम्परा को समाज की संस्था पूरे समर्पण और सेवा भाव के साथ पिछले 10-15 साल से निर्वाह करती आ रही है। वाकई सलाम है इस शहर के जज्बे को। खास बात यह है कि कोरोना जैसी वैश्विक माहमारी की पीड़ा झेल चुका और आर्थिक त्रासदी को दरकिनार करता यह बीकानेर शहर आज भी आवभगत के मामले में पीछे नहीं है। बेहद जिंदादिल लोगों के इस शहर में हर परम्परा और पर्व को बेतहाशा उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है।

पुष्करणा सावे में एक ही दिन में सैंकड़ो शादियों का शांतिपूर्ण सम्पन्न हो जाना इस शहर के स्नेह, संस्कार और सत्कार की जड़े गहरी होने के चलते ही संभव हो पाया। मोहता चौक से लेकर नत्थूसर गेट तक छिकी, मायरा, खिरोड़ा जैसी पौराणिक रस्मों के निर्वाह के साथ रंगबिरंगी पौशाकों में खिले चेहरों का सैलाब देखते ही बनता था। वास्तव में यह शहर अपनी ही दुनिया में मस्त रहने वाला शहर है। यही वजह है कि देश-विदेश के लोगों को बीकानेर का यह परकोटा तमाम व्यस्तता के बावजूद खिंच लाता है। इस नजारे को देखने के लिए अब अगले सावे का इंतजार रहेगा तब तक देखे वीडियो में पुष्करणा सावे की कुछ खास झलकियां।

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