ग्रीन कैमिस्ट्री रिसर्च सेन्टर डूंगर काॅलेज ने बनाया ग्रीन सैनीटाइजर, नही है आग लगने का भय
बीकानेर। ग्रीन कैमिस्ट्री रिसर्च सेन्टर डूंगर महाविद्यालय बीकानेर द्वारा हर्बल रसायनों का प्रयोग करते हुए ग्रीन सैनीटाइजर के दो फारम्यूलेशन बनाए गये हैं। जीसीआरसी के राजस्थान प्रभारी एवं डूंगर काॅलेज के एसो. प्रोफेसर डा. नरेन्द्र भोजक ने बताया कि वर्तमान में जिस प्रकार एल्कोहल युक्त सेनीटाइजर का उपयोग बढ़ा है यह लांग टर्म में हानिकारक होगा इसके प्रयोग को कम करने के लिये ग्रीन सेनीटाइजर की आवष्यकता महसूस की जा रही थी। ग्रीन कैमिस्ट्री रिसर्च सेन्टर के दो वर्ष पूर्व अन्तर्राष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित शोध पत्र के आधार पर डा. एच.एस भंड़ारी, डा. राजाराम, डा. उमा राठौड़ एवं डा. एस.एन जाटोलिया के साथ चर्चा में ग्रीन सेनीटाइजर की अवधारणा बनाई गई। डूंगर महाविद्यालय के विद्यार्थियों ललित किशोर, रूखसार बानो, फरहीन रहमान एंव प्रिया धुणावत ने सर्वे का कार्य किया। प्रयोगशाला सहायक ओम सुथार, राजेन्द्र जोशी, गणेश व मघाराम ने निर्माण प्रक्रिया में सहयोग किया व ग्रीन सेनीटाइजर के दो फारम्यूलेशन तैयार किए। शोधार्थी रामस्वस्प व सुमित के अनुसार दो प्रकार के फारम्यूलेशन माइसेलर तकनीक के आधार पर बनाएं गये हैं। शोधार्थी सीमा व्यास एवं खुशबु शर्मा ने वर्ष 2017 में उन्होंने माइसेलर तकनीक पर कुछ फारम्यूलेशन बनाए थे उनका उपयोग कीट प्रतिरोधी एवं बैक्टीरीया नाशक के रूप में करने पर परिणाम उत्साहवर्धक थे। इस कार्य पर शोध पत्र दो वर्ष पूर्व अन्तर्राष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हुआ था। आज इसकी उन्नत तकनीक का उपयोग ग्रीन सेनीटाइजर के रूप में किया गया है। डा. नरेन्द्र भोजक के अनुसार प्रथम फारम्यूलेशन में नीम, ग्वार पाठा, के माइसेलर अर्क को डबल डिस्टल्ड पानी में ग्लिसरीन व सिट्रीक अम्ल के साथ मिलाया गया द्वितीय फारम्यूलेशन में उपयुक्र्त के अलावा क्रोटोन अर्क के साथ माइसेलर नैनो तकनीक का उपयोग किया गया जिसमें 2-5 प्रतिशत एल्कोहल का उपयोग किया गया। दोनो फारम्यूलेशन बैक्टीरिया मारक क्षमता रखते है एंव सामान्य सेनीटाइजर के समान प्रभावी है। किन्तु इनमें प्रथम में एल्कोहल के दुष्प्रभाव नही है अतः यह बेहतर रहेगा। यदि सामान्य सेनिटाइजर को निरन्तर व अधिक मात्रा में उपयोग किया जाये तो इसमें पाये जाने वाले स्प्रििट, आइसो प्रोपिल एल्कोहल, प्रोपिल एल्कोहल के दुष्प्रभावो से लबे समय तक बचना मुष्किल होगा। साथ ही सामान्य घरों, आॅफिस या दुकानो में जहां साबुन या डिटरजेन्ट का घोल प्रभावी है वहां तो इसका उपयोग नहीं होना चाहिए दूसरा स्प्रििट में पाया जाने वाला एल्कोहल जब उच्च ताप पर वाष्पीकृत होता है तब इसके वाष्प के कण अधिक हानिकारक हो सकते है अतः इसका उपयोग सीमित मात्रा में ही किया जाना चाहिए। जबकि ग्रीन सैनीटाइजर में एल्कोहल नही है व अन्य सभी कैमिकल हर्बल है अतः यह बेहतर होगा। ग्रीन सैनीटाइजर पर आधारित इस शोध का चयन साईटेक सेंट्रल फार्मा द्वारा अमेरिका आयोजित होने वाली अन्तर्राष्ट्रीय कान्फ्रेस में आमंत्रित सत्र में व्याख्यान के लिए किया गया है।
कब करें हैंड सेनीटाइजर का उपयोग
सेन्टर फार डीजीज कंट्रोल एंव प्रीवेन्षन के अनुसार साबुन एंव पानी से हाथ धोना सामान्य तथा बेहतर होता है। इसके द्वारा अधिकतर माइक्रोब्स को हटा दिया जाता है। जबकि 60 प्रतिशत एल्कोहल से अधिक मात्रा के एल्कोहल लगभग सभी प्रकार के माइक्रोब्स को हटाते तो है किन्तु बार-बार एल्कोहल युक्त सेनीटाइजर का उपयोग हाथों को ड्राइ कर देता है। दूसरा एल्कोहल सेनीटाइजर धूल-मिट्टी व चिकनी सतह पर काम नही करता ऐसी परिस्थिति में साबुन व पानी ही कामयाब होते है साथ ही ये सेनीटाइजर विभिन्न रसायन, पेस्टीसाइड व भारी धातुओं के कणों को भी हटा नही पाते अतः हैंड सेनीटाइजर का उपयोग वही करें जहां साबुन व पानी का प्रयोग नही किया जा सके तथा यह भी संतुलित व बहुत कम मात्रा में होना चाहिए।
क्यों है उपयोगी ग्रीन सैनीटाइजर
इसमें माइक्रोब्स को हटाने के गुणो के साथ-साथ शुष्कता खत्म करने के गुण भी हैं। इस प्रकार इसका निरन्तर उपयोग किया जा सकता है साथ ही इसमे पानी व माइसेलर तकनीक इस्तेमाल होने से इसका उपयोग मिटृी व चिकनी सतह पर किया जा सकता है जहां हैंड सेनीटाइजर कारगर नही है। ग्रीन सैनीटाइजर में आग लगने का भय नही है व इसे आसानी से बनाया जा सकता है।
डूंगर काॅलेज प्राचार्य डाॅ. सतीश कौशिक, उपाचार्य डाॅ. शिशिर शर्मा, सहायक निदेशक डाॅ. राकेश हर्ष सहित डूंगर महाविद्यालय के प्रोफेसर डाॅ. जी पी सिंह, डाॅ. रवीन्द्र मंगल, डा. मीरा श्रीवास्तव, डाॅ. वी. के. ऐरी, डाॅ. शालिनी मूलचन्दानी, डाॅ. राजेन्द्र पुरोहित, डाॅ. सुषमा जैन, डाॅ. मृदुला भटनागर, डाॅ. सुरूचि गुप्ता, डाॅ. संगीता शर्मा, डा. देवेश खंडेलवाल, डाॅ. अनिल गुप्ता आदि ने ग्रीन कैमिस्ट्री रिसर्च सेंटर की टीम को बधाई प्रेषित की है।
Dr. Narendar Bhojak
Green Chemistry Research Center (In charge Rajasthan), P.G. Department of Chemistry, Govt Dungar College Bikaner
Email narendarbhojak@gmail.com