ऊंट गाड़ों पर सूखा मेवा भर कर पहुंचाया कन्या के ससुराल
बीकानेर (TIDNEWS)। बीकानेर में इन विवाह शादियों की रौनक परवान चढ़ने लगी हैं। परकोटे में पुष्करणा ब्राह्मण समाज के सामूहिक विवाह की परम्परा के तहत घरों में वैवाहिक गीत गूंज रहे हैं। सावा 18 फरवरी को है और इस दिन सैंकड़ों शादिया एक ही दिन होगी। पुष्करणा ब्राह्मण समाज की सामूहिक विवाह की परम्परा सावा सदियों पुरानी है। शहर में कुछ शादियां 5 फरवरी को भी है। शादियों की इस परम्परा के तहत अनेक रस्में एक दो सप्ताह पहले शुरू हो जाती है। इसमें एक रीत है कन्या के घर से उसके ससुराल बड़ा प्रसाद ले जाते हैं। इस प्रसाद में सूखा मेवा जिसमें बादाम, काजू, अंजीर, पिस्ता आदि होते हैं। इनके साथ नारियल, स्टील के थाल में सजी 11 से 21 किलो मिठाईयां, वस्त्र आदि भी होते हैं। पहले इन सामग्रियों को हाथों में ले जाते थे, लेकिन समय के साथ इसमें बदलाव आता गया। पिछले कुछ सालों में आकर्षक पैकेजिंग के ट्रेंड का भी इन परम्पराओं पर पड़ा। चमकीली सुनहरी गोटा किनार की लैस के साथ थर्मोकोल को दिल के आकार में काट कर उसे सजाया जाता है, फिर उनमें सूखे मेवे, वस्त्र आदि को कलरफुल पैकिंग पेपर्स से डेकोरेट किया जाने लगा। अब इससे भी आगे इन परम्पराओं में हैंडीक्राफ्ट्स के आइटम्स भी इस्तेमाल होने लगे हैं। इनमें भी चमड़े, लोहे के तार व प्लास्टिक के काॅम्बिनेशन से बने ऊंट गाड़े यूज होने लगे हैं। पहले ये खिलौने घर के ड्राइंग रूम की शोभा बढ़ाते थे, लेकिन अब यह क्रिएशन वैवाहिक रस्मों में भी नजर आने लगा है। इन खिलौने रूपी ऊंट गाड़ों पर सूखे मेवे को रखकर सजाया जाता है और फिर शादी से पहले बड़े प्रसाद के रूप में लड़की के ससुराल पहुंचाया जाता है। ऐसा ही कुछ बीते सोमवार को बारहगुवाड़ से नत्थूसर गेट के बाहर जा रहे वैवाहिक प्रसाद में नजर आया। कुल मिलाकर अब वैवाहिक रस्मों पर क्रिएटिव पैकेजिंग हावी हो रही है। इसके पीछे हर पक्ष की बेस्ट से बेस्ट और अलग हट करने की होड़ भी माना जा सकता है। परम्पराओ का यह आधुनिक सफर वैवाहिक रस्मों की विकास एवं सम्पन्नता की ओर इशारा भी कर रहा है। शहर में पिछले दो सालों में कोरोना के चलते शव यात्रा व बैठकों के दौर ने जहां आमजन को पूरी तरह से जहां हतोत्साहित कर दिया था वहीं शादी-विवाह के इस सीजन में सजी धजीं गीत गाती महिलाएं व युवतियों तथा बच्चों के खिले हुए चेहरों ने फिर से एक अलग ही उत्साह भर दिया है। हर गली मोहल्ले में सावे की रौनक बता रही है कि बीकानेर फिर से सुकूनभरी खुली सांसे लेने लगा है।


