सीएसआईआर-सीरी द्वारा विकसित थर्मिओनिक एमिटर्स का विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र – इसरो को हस्तांतरण
पिलानी। सीएसआईआर-सीरी के सूक्ष्मतरंग युक्तियाँ क्षेत्र के वैज्ञानिकों ने थर्मिओनिक एमिटर सिस्टम (तापायनिक उत्सर्जन प्रणाली) के विकास में सफलता प्राप्त की है। सीएसआईआर-सीरी की कैथोड टीम द्वारा विकसित पूरी तरह से अंतरिक्ष मानकों एवं कसौटियों पर सफल थर्मिओनिक उत्सर्जक को डॉ पी सी पंचारिया, निदेशक, सीएसआईआर-सीरी, पिलानी की उपस्थिति में 27 दिसम्बर 21 को हस्तांतरित किया गया। यह थर्मिओनिक एमिटर इसरो के आगामी एसटीएस-1 मिशन में पीएसएलवी-सी 54 में उपयोग के लिए इसरो की विद्युत प्रणोदन परियोजना (इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन प्रोजेक्ट) को विधिवत हस्तांतरित किया गया है। इस अवसर पर विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, तिरुअनंतपुरम के तत्कालीन निदेशक एस सोमनाथ तथा डॉ वी नारायणन, निदेशक, एलपीएससी(इसरो), बेंगलुरु भी उपस्थित थे। गौरतलब है कि सोमनाथ ने 14 जनवरी, 2022 को इसरो के नए अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण कर लिया है। विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र – इसरो उच्च शक्ति या थ्रस्ट वाली विद्युत प्रणोदन प्रणाली (ईपीएस) के स्वदेशीकरण की ओर अग्रसर है जिसके लिए उन्हें थर्मिओनिक उत्सर्जक की आवश्यकता है। वर्तमान में इन थ्रस्टर्स का आयात किया जा रहा है। सामरिक क्षेत्र में उपयोग होने के कारण इन एमिटर्स का व्यावसायिक उत्पादन नहीं किया जाता। इसीलिए विश्व में एक-दो उद्यमों के अलावा कोई अन्य उद्यम इसका व्यावसायिक उत्पादन नहीं करता है। सीएसआईआर-सीरी के वैज्ञानिकों ने गहन शोध के उपरांत थर्मिओनिक एमिटर की तकनीक को परिपक्व कर लिया है और देश में इस क्षेत्र में अग्रणी है।
उल्लेखनीय है कि स्थिर प्लाज्मा थ्रस्टर में उपयोग के लिए थर्मिओनिक एमिटर के विकास के लिए 27 जुलाई, 2018 को वीएसएससी-इसरो और सीएसआईआर-सीरी के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस समझौता ज्ञापन के तहत सीएसआईआर-सीरी ने 14 अगस्त, 2019 को वीएसएससी को 20 प्रोटोटाइप और 50 उड़ान सिद्ध (फ्लाइट प्रूवन) थर्मिओनिक एमिटर विकसित और वितरित किए। वीएसएससी-इसरो द्वारा अपने मानकों पर इन एमिटर्स का परीक्षण और योग्यता की जाँच की जा चुकी है और ये अत्यंत सफल सिद्ध हुए हैं। सीएसआईआर-सीरी द्वारा विकसित एमिटर्स विदेशों से आयात किए जाने वाले एमिटर्स की सभी कसौटियों पर खरे उतरे हैं।
क्या है थर्मिओनिक एमिटर
थर्मिओनिक एमिटर, उच्च शक्ति की विद्युत प्रणोदन प्रणाली (ईपीएस) का महत्वपूर्ण घटक है जिसे अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किए जाने वाले कृत्रिम उपग्रहों में उपयोग किया जाता है। सुदूर अंतरिक्ष की कक्षा में उपग्रह की स्थिति एवं गति को विभिन्न प्रकार की प्रणोदन प्रणालियों, जैसे – रासायनिक और इलेक्ट्रॉनिक प्रणोदन प्रणालयों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक प्रणोदन प्रणाली, जैसे कि आयन थ्रस्टर्स की पहचान उनके उच्च निकास प्रणोदक वेग के कारण बड़ी क्षमता के लिए की गई है।
प्रणोदन और प्रणोदन प्रणाली क्या है
किसी वस्तु को गति देने के लिये लगाए गए बल को उत्पन्न करने की प्रक्रिया को प्रणोदन (प्रोपल्शन) कहते हैं और बल उत्पन्न करने वाले ऐसे साधन को प्रणोदक कहते हैं। किसी भी प्रणोदन प्रणाली में यांत्रिक शक्ति (mechanical power) बनाने का स्रोत और फिर इस शक्ति को धकेलने के लिए बल में परिवर्तित करने के लिए प्रणोदक अत्यंत आवश्यक होता है। प्रौद्योगिक प्रणालियों में यांत्रिक शक्ति स्रोत को अक्सर इंजन या मोटर कहा जाता है। फिर इस शक्ति को पहियों व धुरी, नोदक या तेज़ी से पीछे की ओर गैस या अन्य सामग्री फेंकने वाले राकेट द्वारा धकेलने के बल में परिवर्तित कर के गति प्राप्त की जाती है। मनुष्य या अन्य प्राणी भी अपनी मांसपेशियों को शक्ति स्रोत (अर्थात बल) के रूप में और अपनी टाँगों, पंखों, फिनों आदि को प्रणोदक के रूप में उपयोग करते हैं।