EducationExclusiveIndiaTechnology

सीएसआईआर-सीरी ने विकसित किया रैपिड क्षीर स्‍केनर

प्रौद्योगिकी के लिए आरईआईएल (रील), जयपुर के साथ समझौता ज्ञापन

खाद्य पदार्थों में मिलावट पीढ़ियों के खिलाफ है एक अघोषित युद्ध

– ऐसे पकड़ में आती है मिलावट

पिलानी, 2 दिसंबर। दूध और अन्‍य खाद्य पदार्थों में मिलावट आज विश्‍व की प्रमुख समस्‍या बन चुका है। खाद्य पदार्थों में मिलावट को पीढ़ियों के विरुद्ध युद्ध मानते हुए सीएसआईआर-सीरी, पिलानी ने अपनी पूर्व में विकसित क्षीर स्‍केनर टेक्‍नोलॉजी में सुधार करते हुए रैपिड क्षीर स्‍केनर का विकास किया है। सीरी के जयपुर केंद्र में 1 दिसंबर को सीएसआईआर-सीरी और और राजस्‍थान इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स एंड इंस्‍ट्रुमेन्‍ट्स लिमिटेड, जयपुर के बीच इस प्रौद्योगिकी के हस्‍तांतरण संबंधी महत्‍वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किए गए। इस अवसर पर संस्‍थान के निदेशक डॉ पी सी पंचारिया एवं रील के प्रबंध निदेशक राकेश चोपड़ा सहित दोनों संस्‍थानों के वरिष्‍ठ अधिकारी उपस्थित थे।
इस अवसर पर मीडिया को संबोधित करते हुए सीएसआईआर-सीरी के निदेशक डॉ पी सी पंचारिया ने कहा कि हमारा यह मानना है खाद्य पदार्थों में मिलावट पूरी पीढ़ी विरुद्ध एक अघोषित युद्ध है और क्षीर स्‍केनर जैसी युक्तियाँ आम आदमी के लिए न केवल उपयोगी एवं अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण हैं अपितु मानव स्‍वास्‍थ्‍य की रक्षा के लिए महत्‍वपूर्ण हथियार भी हैं।

इस अवसर पर आरईआईएल, जयपुर के प्रबंध निदेशक राकेश चोपड़ा ने भी संस्‍थान द्वारा विकसित इस प्रौद्योगिकी की प्रशंसा करते हुए कहा कि आरईआईएल द्वारा बड़े पैमाने पर इस युक्ति का निर्माण किया जाएगा और देशभर में इसका संस्‍थापन किया जाएगा। उन्‍होंने इस संबंध में निरंतर उपलब्‍ध कराई जा रही प्रौद्योगिकी सहायता के लिए भी सीरी की सराहना की। समझौता ज्ञापन में सीरी की ओर से मुख्‍य वैज्ञानिक एवं प्रमुख, टीबीडी डॉ अभिजीत कर्माकर तथा आर ई आई एल की ओर से डॉ पी एन शर्मा, अपर महाप्रबंधक ने हस्‍ताक्षर किए।

ऐसे पकड़ में आती है मिलावट यहां यह बताना महत्‍वपूर्ण रहेगा कि रैपिड क्षीर स्‍केनर नामक यह नई युक्ति इलेक्‍ट्रोकैमिकल एनालिसिस सिद्धांत पर कार्य करती है और त्‍वरित गति से दूध में मौजूद मिलावटी तत्‍वों की पहचान कर यह रैपिड क्षीर स्‍केनर यूरिया, नमक, सोडा, डिटजेन्‍ट और अमोनियम सल्‍फेट जैसे पदार्थों की जाँच 25 सेकंड से भी कम समय में करने में सक्षम है। यह दूध में 0.1 प्रतिशत यूरिया की मिलावट की जाँच करने में सक्षम है। यह ग्रीन टेक्‍नोलाॅजी है। इसमें मिलावटी तत्‍वों का पता लगाने के लिए किसी रसायन का प्रयोग नहीं किया जाता है। साथ ही यह भी ध्‍यान देने योग्‍य तथ्‍य है कि दूध में मिलावटी तत्‍वों का पता लगाने के लिए इस युक्ति में उपयोग किया गया सेन्‍सर भी सीरी द्वारा ही डिजाइन, विकसित और निर्मित किया गया है।

डेयरी उपक्रमों में किया स्थापित उल्‍लेखनीय है कि रैपिड क्षीर स्‍केनर संस्‍थान द्वारा पूर्व में विकसित और आर ई आई एल(रील), जयपुर को हस्‍तांतरित क्षीर स्‍केनर का ही उन्‍नत संस्‍करण है और सीएसआईआर-सीरी अपनी इस प्रौद्योगिकी के उन्‍नयन में निरंतर शोधरत है। आर ई आई एल(रील), जयपुर ने क्षीर स्‍केनर प्रौद्योगिकी पर आधारित अपने उपकरणों को देशभर में स्थित डेयरी उपक्रमों में संस्‍थापित किया है। सीरी द्वारा विकसित हैंडहेल्‍ड क्षीर स्‍कैनर को भारत के राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा वर्ष 2016 में राष्‍ट्र को समर्पित किया गया था।

इलेक्ट्रॉनिकी के क्षेत्र में प्रमुख शोध संस्थान
विदित ही है कि सीएसआईआर-केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-सीरी), पिलानी वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के तत्वावधान में 1953 ई. में स्थापित इलेक्ट्रॉनिकी के क्षेत्र में प्रमुख शोध संस्थान है। यह इलेक्ट्रॉनिकी के क्षेत्र में बहु-विषयक अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों और परियोजनाओं, नामतः इंटेलिजेंट प्रणाली समूह माइक्रोसिस्टम पैकेजिंग समूह; अर्द्धचालक युक्ति अभिकल्पन समूह; अर्द्धचालक युक्ति संविरचन समूह; सामाजिक इलेक्ट्रॉनिकी समूह; निर्वात इलेक्ट्रॉन युक्तियाँ अभिकल्पन समूह और निर्वात इलेक्ट्रॉन युक्तियाँ विकास समूह से संबंधित शोध कार्यों के माध्‍यम से राष्‍ट्र को समर्पित है। वहीं आरईआईएल, जयपुर भारत सरकार के भारी उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम एवं लघु रत्‍न है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *