डीएपी के स्थान पर एसएसपी को बढ़ावा देने के लिए किसानों के साथ करें ग्रामवार गोष्ठियां
जिला कलक्टर ने की रबी सीजन में उर्वरक खपत, आवंटन और उपलब्धता की समीक्षा
बीकानेर, 12 अक्टूबर। जिला कलक्टर नमित मेहता ने मंगलवार को रबी सीजन में उर्वरक खपत, आवंटन व उपलब्धता की समीक्षा बैठक ली। बैठक में कृषि, सहकारिता विभाग के अधिकारी तथा इफको व राजफेड के प्रतिनिधियों के साथ विस्तृत चर्चा हुई व उर्वरक उपलब्धता के आधार पर जिला कलक्टर ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि डीएपी के स्थान पर एसएसपी को बढ़ावा देने के लिए कृषि पर्यवेक्षक व कृषि अधिकारी किसानों के साथ ग्रामवार गोष्ठियों का आयोजन करें। किसानों को इस बात से व्यापक रूप से अवगत कराया जाए।
जिला कलक्टर ने कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि उनके समस्त कृषि आदान निरीक्षक क्षेत्र में रहें, जिससे उर्वरकों की जमाखोरी व कालाबाजारी को रोका जा सके। कृषि विभाग के उपनिदेशक आपसी समन्वय स्थापित कर जिले में उर्वरक की उपलब्धता के आधार पर किसानों में समान रूप से इसका वितरण करें, जिससे किसी भी प्रकार की असंतोष की स्थिति से बचा जा सके।
साढ़े पांच लाख हेक्टेयर में बुवाई संभावित
बैठक में बताया गया कि जिले में रबी सीजन में लगभग साढ़े पांच लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फसल की बुवाई संभावित है। इसमें 3.5 लाख हेक्टेयर नहरी क्षेत्र में व 2 लाख हेक्टेयर कुआं आधारित क्षेत्र में बुवाई की जाएगी। डीएपी की कम सप्लाई आने के कारण जिले में डीएपी की उपलब्धता कम रहना संभावित है। डीएपी का संकट पूरे देश में है। जिन देशों में आयात होता है वहां से पूरी सप्लाई नहीं आ रही है इस कारण इस रबी सीजन में डीएपी उर्वरक की मांग की तुलना में आपूर्ति कम रहने की संभावना है।
जिले में करीब ढाई लाख हेक्टेयर क्षेत्र में चना, सवा लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सरसों की बिजाई की जाएगी। इसके लिए किसानों ने सरसों की बुवाई शुरू कर दी है, लेकिन डीएपी की सप्लाई कम होने पर संकट की स्थिति आने वाले समय में पैदा होने की आशंका बढ़ गई है। इस स्थिति में किसानों को फास्फोरस तत्वों की पूर्ति के लिए डीएपी के विकल्प के रूप में सिंगल सुपर फाॅस्फेट के उपयोग की सलाह दी जाती है।
डीएपी के विकल्प के रूप में एसएसपी का उपयोग आर्थिक व पोषक तत्व उपलब्धता के आधार पर उचित है। फास्फोरस तत्व के लिए डीएपी के विकल्प के रूप में एसएसपी उर्वरक अपेक्षाकृत सस्ता तथा बाजार में सुगमता से उपलब्ध हो रहा है। इसके अतिरिक्त प्रति इकाई लागत में तुलनात्मक रूप से सस्ता उर्वरक है। प्रति बैग डीएपी में 23 किग्रा फास्फोरस व 9 किग्रा फास्फोरस पाया जाता है, जबकि प्रति बैग एसएसपी में 8 किग्रा फास्फोरस व 5.5 किग्रा सल्फर पाया जाता है।
यदि डीएपी के विकल्प के रूप में तीन बैग एसएसपी एवं साथ में एक बैग यूरिया का प्रयोग किया जाता है तो इन दोनों उर्वरकों से डीएपी की तुलना में कम मूल्य पर नाइट्रोजन एवं फास्फोरस की अधिक पूर्ति होने के साथ-साथ द्वितीय पोषक तत्व के रूप में सल्फर एवं कैल्शियम भी प्राप्त किया जा सकता है ।
बैठक में अतिरिक्त जिला कलक्टर (प्रशासन) बलदेव राम धोजक, संयुक्त निदेशक (कृषि) डॉ उदयभान, उपनिदेशक ( कृषि) कैलाश चौधरी सहायक निदेशक रामकिशोर मेहरा, इफको के प्रतिनिधि व सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने भाग लिया।