राजकीय महाविद्यालय कोलायत में संस्कृतदिवसोत्सव का आयोजन
बीकानेर । राजकीय महाविद्यालय, कोलायत में आज संस्कृत सप्ताह के तहत संस्कृतदिवसोत्सव का आयोजन हर्षोल्लास के साथ किया गया। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. शालिनी मूलचन्दानी ने दीप प्रज्ज्वलन कर वीणापाणि माँ शारदा का वन्दन किया। संस्कृत को लोकप्रिय बनाने की दिशा में योगदान देने का आग्रह करते हुए कहा कि संस्कृत,संस्कृति और संस्कार ये तीनों ही भारतीय संस्कृति के मूल हैं। देववाणी संस्कृत भाषा हमारी संस्कृति का एक अभिन्न अंग है और हमारे सभी धार्मिक संस्कारों का मूलाधार हैं ऐसी अमूल्य भाषा रूपी सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण और संवर्द्धन करना प्रत्येक भारतीय का उत्तरदायित्व है।
संस्कृत विभागाध्यक्ष बिन्दु चन्द्राणी ने संस्कृत दिवस को श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाने का कारण और उद्देश्य को बताते हुए कहा कि प्राचीनकाल में श्रावण मास की पूर्णिमा के अवसर पर शिक्षण सत्र का श्रीगणेश करते हुए वेदपाठ कर सत्र का आगाज किया जाता था। इस अवसर पर शिक्षार्थी संस्कृत साहित्य के आदि स्रोत ऋषि-मुनियों का पूजन कर उनके प्रति समर्पण भाव को प्रकट करने के लिए ऋषि पर्व मनाते थे।
वर्तमान में संस्कृत भाषा अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है जनमानस को संस्कृत की महत्ता बताने के लिए और इसके संरक्षण और संवर्द्धन के उद्देश्य से भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने 1969 में केन्द्र राज्य स्तर पर इस ऋषि पर्व के पावन दिवस को ही संस्कृत दिवस के रूप में मनाने के आदेश जारी किए। जिस सप्ताह संस्कृत दिवस आता है उस सप्ताह को संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य से संस्कृत सप्ताह के रूप में मनाया जाता है।
डॉ. राजपाल सिंह ने कहा कि व्याकरण और शब्द सम्पदा की दृष्टि से संस्कृत प्रमाणिक भाषा है और आधुनिक तकनीकी उपकरणों एवं अनुवाद हेतु सक्षम है। सहायक आचार्य मुकेश स्याग ने कहा कि विद्यालयों में संस्कृत विषय का अध्यापन बन्द हो रहा है। भारतीयता की रक्षा हेतु इस भाषा का प्राथमिक स्तर पर एवं तृतीय भाषा के रूप में इसका अध्यापन होना नितान्त आवश्यक हैं अन्यथा एक समृद्ध भाषा की विरासत से हमारे होनहार वंचित हो जाएंगे। सूरज प्रकाश, डॉ. अर्चना, डॉ. सुरेन्द्र शर्मा, लक्ष्मी देवी और नारायणी ने भी संस्कृत भाषा विषयक उद्गार व्यक्त किए। कार्यक्रम में मुकेश चावरियाँ और हँसराज देवड़ा ने भी सक्रिय सहभागिता की।अन्त में कार्यक्रम का अवसान करते हुए महाविद्यालय के सहायक आचार्य सूरजप्रकाश ने सभी के प्रति हार्दिक आभार प्रकट किया।