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बंगाल व राजस्थान की संस्कृति और मेलों में कोई फर्क नहीं : बर्मन

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राजस्थानी संस्कृतिप्रेमी व गणगौर मेले में सहयोग देने वाले स्वपन बर्मन का रमक झमक संस्था व झालापट्टा गणगौर मंडली ने किया अभिनंदन

बीकानेर। राजस्थानी संस्कृतिप्रेमी व गणगौर संस्कृति मेले में सहयोग देने वाले भैरव भक्त समाजसेवी स्वपन बर्मन का यहां रमक झमक संस्था व झालापट्टा गणगौर मंडली द्वारा अभिनंदन किया गया। पं. जुगल किशोर ओझा ‘पूजारी बाबा’, भैरव गिरी मठ के आनंद महाराज व रतना महाराज के सानिध्य में सम्मान स्वरुप उनको राजस्थानी साफा पहनाकर, शॉल ओढ़ाकर, श्रीफल व भैरवनाथ का फोटो फ्रेम के साथ अभिनन्दन पत्र भेंट किया गया। रमक झमक संस्थान के अध्यक्ष पं. प्रहलाद ओझा ‘भैरु’ ने सस्कृति सेवक सम्मान पत्र का वाचन किया। इस मौके स्वपन बर्मन ने अपने उद्बोधन में कहा कि बंगाल और राजस्थानी लोगों में कोई फर्क नहीं है। यहां और वहां की संस्कृति, मेले लगभग एक जैसे ही है। बंगाल में ममता बनर्जी सरकार सांस्कृतिक कार्यक्रमों का बखूबी ध्यान रखे हुए है। उन्होंने बताया कि पूरे भारतवर्ष में गणगौर गेट नहीं है लेकिन सबसे बड़े त्यौंहार होने वाले गणगौर में ममता दीदी की सोच से ऐतिहासिक गेट बनाए जा रहे हैं। जिस तरह कोलकाता में दुर्गा सजती है ठीक वैसे ही बड़ा बाजार में 9 गवरजा सजती है और अब वहीं पर गेट भी बनाए जा रहे हैं। इस अवसर पर सुशील किराडू, बी.आर. पुरोहित, आर.के.सूरदासाणी, साफा एक्सपर्ट किशन पुरोहित व राधे ओझा सहित अनेक गणगौर कलाकार संस्क्रति कर्मी मौजूद थे। इससे पूर्व पं. पूजारी बाबा ने बर्मन व आनंद महाराज के स्वस्ति वाचन कर तिलक किया। किशन पुरोहित ने बर्मन के साफा बांधा।

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