सांसत में बीकानेर पापड़ भुजिया कारोबार की जान, एफएसएसएआई लाइसेंस बनाना हुआ दुर्भर
बीकानेर। कोरोना महामारी में आर्थिक मार झेल रहे पापड़ भुजिया कारोबारियों की जान एक बार फिर से सांसत में पड़ती नजर आ रही है। बीकानेरी भुजिया व पापड़ का एफएसएसएआई लाइसेंस बनना दुर्भर हो गया है। बीकानेर पापड़ भुजिया मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष वेद प्रकाश अग्रवाल ने बताया कि एफएसएसएआई लाइसेंस पहले जहां बीकानेर का बीकानेर में ही बन जाता था अब उसे सेन्टर दिल्ली में बनाने की की कवायद है जिससे व्यापारियों के व्यापार करने में बहुत समस्या का सामना करना पड़ रहा है। जैसा कि सभी जानते है देश में कोई भी फूड प्रोडक्ट बनाने के लिए सबसे पहली अनिवार्यता एफएसएसएआई लाइसेंस की है। उसे बनाने के लिए पहले भी व्यापारियों को अपनी व्यवस्थाओ को नियमावली के अनुरूप करना होता था, परंतु हाल ही में हुए बदलाव के कारण अब 12 लाख से ऊपर के टर्नओवर वाली फर्मो को लाइसेंस दिल्ली से बनाना पड़ेगा जो कि बहुत मुस्किल हो गया है। क्योंकि जहां इस लाइसेंस की 5 साल की 1500 रुपए फीस यहां के व्यापारी दे रहे थे उसी लाइसेंस की 37500 रुपये फीस उन्हें देनी होगी। इसके साथ ही वहां के नियम इतने कठोर है कि हर किसी के लिए वहां के मापदंडों पर खरा उतरना भी सम्भंव नही हो पा रहा है। वैसे ही मंदी ओर कोरोना कि मार झेल रहे व्यापारी लाइसेंस के लिए दिल्ली के चक्कर निकाल निकाल कर हैरान परेसान हो रहे है। जब सभी सुविधाएं यहाँ पहले से उपलब्ध थी तो लाइसेंस का दिल्ली स्थानांतरण का कोई औचित्य ही नही था। इस पर कई गुना बढ़ी हुई फीस जिसका व्यापारी हित में कोई सुविधा भी नही है। अग्रवाल ने बताया कि यहां बन रहे 12 लाख टर्नओवर से हम ऐसे समझ सकते है प्रतिदिन 3333 रुपये की बिक्री करने वालो को ही या यूं समझ सकते है अभी वर्तमान में पापड भुजिया 200 रूपये किलो माने तो रोजाना 16 किलो माल बेच पाने वालों के लिए ही यानी लगभग 99% व्यापारियों को दिल्ली से बना लाइसेंस अनिवार्य होगा। इसके साथ ही जिनके पहले से राज्य सरकार से लाइसेंस बने हुए है उन्हें भी इसे दिल्ली से दोबारा बनवाना पड़ेगा चाहे उनकी लाईसेंस की एक्सपायर डेट में समय बाकी हो उन्हें भी नए के भांति दुबारा से अप्लाई करना होगा। इन्हीं शर्तो के साथ हालाकि उनका fssai नंबर परिवर्तित नही होगा पर नए के भांति समस्या का सामना करना पड़ेगा। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए भुजिया पापड़ एसोसिएशन ने पहले भी जनप्रतिनिधियों को इस समस्या के निवारण के लिए अवगत करवाया था, लेकिन कुछ भी सार्थक सामाधान न हो सका। अगर लाइसेंस के लिए इस प्रकिया में व्यापक सुधार न हुआ तो आने वाले कुछ महीनों में पापड़ भुजिया के सैंकड़ों कारखाने बन्द हो जाएंगे।