चयनित बेरोजगार शिक्षकों ने सीएम से ऐसे बयां किया अपना दर्द, 22 सालों से नहीं पसीजा दिल
बीकानेर। जिला परिषद 1999 में चयनित होने के बावजूद प्रशिक्षित बेरोजगारों को न तो सरकार और न ही संबंधित प्रशासनिक अधिकारी संतोषजनक जवाब दे रहे हैं। पिछले 22 सालों से केन्द्र व राज्य की सरकारों में बीकानेर से चुने हुए सांसदों व विधायकों को इतने ज्ञापन दिए कि यदि उन्हें एकजाया कर तुलवाया जाए तो सैंकड़ों क्विंटल वजन हो जाएगा। इतना ही नहीं ये विधायक और ताकतवर मंत्री इन चयनित बेरोजगारों से आज भी केवल ज्ञापन ही ले रहे हैं, एक्शन नहीं। इससे जाहिर होता है कि हम जिन्हें बड़े विश्वास के साथ चुनकर संवैधानिक संस्थानों में भेजते हैं वे कितने संवेदनशील है। यह विश्वासघात बेहद ठेस पहुंचाने वाला है। फिर भी उम्मीद लगाए ये चयनित बेरोजगार आज भी इन जन प्रतिनिधियों को ज्ञापन देने का सिलसिला जारी रखे हुए हैं।
सीएम को यह लिखा पत्र
श्रीमान जन नायक महोदय, कोरोनाकाल में आपकी संवेदनशीलता एवं प्रबंधन…तारीफे काबिल रहा है…,और इन कठिन परिस्थितियों में भी बेरोजगारों को रोजगार देने के प्रयास भी आपकी बेरोजगारों के प्रति संवेदनशीलता एवे सहृदयता प्रदर्शित करती है,श्रीमान जी ऐसी ही सहृदयता एवं सवेदनशीलता की अपेक्षा हम सभी बीकानेर जिला परिषद् 1999 के चयनिल भी बेरोजगार शिक्षक साथी भी रखते है जिन्होने कैसे ही करके इन 22 वर्षो के कड़े संधर्ष से अपने परिवार का पालन पोषण कम पैसों में निजी कार्य करके किया और निरंतर अपने हक हेतु संघर्ष भी किया है जिसमे चार सरकारे बदल चुकी है जिनमे दो आपकी औरं दो बीजेपी की रही है,जहाँ से केवल हर बार आश्वासन ही मिला है,
श्रीमान आज हमारे सभी साथी कोराना की विकट परिस्थितियों में दर – दर भटक रहे है,एवं परिवार के पालन – पोषण में स्वयं को अक्षम महसूस कर रहे हैं,जबकि हम सभी चयनितों के हक को बेवजह रोका हुआ है,जिसका विवरण मै नीचे👇प्रस्तुत कर रहा हूँ,आप श्रीमान से हमें आशा है कि आप इस पर संवेदनशील रहते हुवे तथा सहानुभूति पूर्वक निर्णय कर हमारे प्रति न्याय कर हमे अपना हक दिलायेंगे,ताकि हम सभी को दर-दर की ठोकरे ना खानी पडे…
ज्ञापन में यह लिखा
विषय :-चयनित तृतीय श्रेणी शिक्षक,जिला परिषद् बीकानेर 1999 को शीघ्र नियुक्ति देने बाबत् ।
महोदय जी,
उपर्युक्त विषयान्तर्गत निवेदन है कि जिला परिषद् बीकानेर मे 1999 मे 250 पदों पर भर्ती निकाली एवं जिसके लिए सम्पूर्ण भर्ती प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई,मगर एक सरकारी आदेश के माध्यम से इस पर रोक लगा दी गई,जो इस भर्ती प्रक्रिया के लम्बित होने का कारण बना।
मान्यवर,इसके लिए हम सभी चयनित लम्बे समय से संघर्षरत्त है और कई बार आमरण – अनशन के चलते अस्पताल तक में भर्ती होना पड़ा
श्रीमान् हमारे इसी संघर्ष के मध्य विभाग ने कई बार पत्र लिख कर सरकार से मार्गदर्शन माँगा जिसमे ये स्पष्ट अंकित किया है कि यदि सरकार निर्देश दे तो इस भर्ती को पूर्ण किया जा सकता है
मान्यवर इस प्रकरण पे किसी भी प्रकार की कोर्ट की रोक नही है और सरकार ने रोक लगाई है और वही इसे हटाने मे सक्षम है ऐसा जवाब विभाग प्रत्येक बार देता रहा है ।
श्रीमान् 2013 में हमारे वृहद आमरण अनशन से द्रवित हो तत्कालीन प्राथमिक शिक्षा निदेशक वी .श्रवण कुमार ने सरकार से भर्ती हेतु मार्गदर्शन एवं अनुमति माँगी थी,मगर उस पर भी कोई कार्यवाही नही हो पाई ।
मान्यवर,पूर्ववर्ती राज्य -सरकार द्वारा श्रीमान राजेन्द्र सिंह राठौड़ की अध्यक्षता में गठित मंत्रीमण्डलीय उपसमिति में चयनितों के पक्ष को बुलवा कर सुनने के पश्चात प्रकरण का गहनतापूर्वक निरिक्षण के पश्चात ये माना कि ये एक बहुत बड़ी अंधी -गलती है और इस प्रकरण में नियुक्ति हेतु सैद्धान्तिक सहमति देते हुवे जिला परिषद से तथ्यात्मक रिपोर्ट मंगवाई थी ।
मान्यवर,इस भर्ती हेतु आपने पूर्व में सहृदयता दिखाते हुए 1/7/2003 को शिक्षा सचिव के माध्यम से आदेश भी जारी किये नियुक्ति हेतु जो पता नहीं किन अज्ञात कारणो से क्रियान्वित नहीं हो पाये,जबकि राज्य सरकार के पत्रांक एफ /13(244) प्रा.शि. वि./99 दिनांक 1/7/2003 को 250 पद हेतु वित्तिय स्वीकृति भी शासन सचिव विधि प्रकोष्ठ द्वारा दी जा चुकी है ।
श्रीमान् वर्ष 1999 अध्यापक भर्ती प्रकरण पर न्यायालय की किसी प्रकार की रोक नही,केवल सरकारी रोक है,जिसे “राज्य सरकार अपने स्तर पर हटाने मे सक्षम है,यदि सरकार रोक हटाती है तो इस प्रकरण का निस्तारण हो सकता है अतः आपसे अनुरोध है कि आप अपनी सहृदयता दिखाते हुए,हमे अपने हक को प्रदान कर,नियुक्ति दिलाने की अनुकम्पा करे।
आदर सहित….
सदैव आपके हम सभी 99चयनित शिक्षकगण