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अव्यावहारिक आदेश को निरस्त करने भेजा शिक्षामंत्री को पत्र

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संक्रमण को लेकर गृह विभाग के दिशा निर्देशो व स्कूल संचलान हेतु शिक्षा निदेशालय के निर्देशो में उत्पन्न विरोधाभास को समाप्त कर ग्रीष्मावकाश 20 जून तक रखने की मांग

बीकानेर, 5 जून। राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय ने शिक्षा मंत्री को ज्ञापन भेजकर शिक्षा निदेशालय राजस्थान द्वारा शिक्षकों में आपसी वैमनस्यता बढ़ाने वाले अव्यवहारिक आदेशों पर पुनर्विचार कर संशोधित आदेश जारी करवाने की मांग की है संगठन की और से भेजे ज्ञापन में महामंत्री अरविंद व्यास ने अवगत कराया कि निदेशालय द्वारा जारी आदेशों को केवल औपचारिकता निभाने वाला बताते हुए कहा कि इस आदेश में शिक्षकों को महज स्कूल बुलाने वाला ही साबित हो रहा है वर्तमान में विभाग द्वारा जारी आदेशों में सत्र 21-22 प्रारंभ करने एवं विद्यालय की गतिविधियों के संचालन के अव्यवहारिक विरोधाभाषी आदेश जारी होने से शिक्षकों में असमंजसता की स्थिति उत्पन्न हो गई है आदेशों में मात्र शिक्षकों को बुलाए जाने की मंशा स्पष्ट हुई है क्योंकि 7 जून से 19 जून तक जो कार्य पूर्ण करने के लिए शिक्षकों को निर्देशित किया गया है वह केवल मात्र विद्यालय खोलने के लिये ही है उक्त सभी कार्य वर्क फ्रॉम होम से भी पूर्ण किए जा सकते हैं
राजस्थान शिक्षक संघ(राष्ट्रीय) के प्रदेश मंत्री रवि आचार्य ने बताया कि निदेशालय माध्यमिक शिक्षा बीकानेर के उक्त आदेश परिवहन चालू नही होने तक स्थानीय व बाहरी शिक्षको में मतभेद पैदा करता है।तथा उक्त आदेश में शिक्षको के लिए प्रमुख कार्य एवं टाइम लाइन जारी की है जिसमे 7 जून से 19 जून तक निर्देशित कार्य भी महज औपचारिक होकर वक्त जाया करने जैसे सौंपे गये है।
संगठन के प्रदेशाध्यक्ष सम्पतसिंह ने बताया कि शिक्षा विभाग में नये सत्र को प्रारम्भ करने में शिक्षको कोई ऐतराज नही है।शिक्षक अपने जिम्मे के कार्य को मुस्तैदी से करने हमेशा तैयार रहते है । कभी भी कार्य से जी चुराने की मनोवृत्ति नही रही है। किंतु गृह विभाग राजस्थान सरकार की दिनांक 31 मई 2021 को जारी गाइडलाइन व संक्रमण के खतरे को नजरअंदाज कर केवल औपचारिताओ के साथ स्कूल संचालन प्रारम्भ करने के अव्यवहारिक आदेश प्रदान करना न्यायोचित नही है।
सम्पतसिंह ने कहा कि निदेशालय के उक्त आदेश में स्कूल संचालन हेतु सौपे गए कार्यो व प्रारम्भिक गतिविधियों के तहत सौपे गए सभी कार्य स्कूल प्रारम्भ होने के 3 दिन के भीतर स्कूल संचालन के साथ सम्पन्न किये जा सकते है।इन कार्यो के लिए पृथक से समय की आवश्यकता नही रहती। बावजूद शिक्षा निदेशालय द्वारा ऐसे अव्यवहारिक आदेश जारी किए है जो कि गृह विभाग की गाइड लाइन के विपरीत होकर शिक्षको ,बालको एवं अभिभावकों में संक्रमण का खतरा बढ़ाने वाले है ।
संगठन के प्रदेश संगठन मंत्री प्रहलाद शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार के गृह विभाग द्वारा त्रिस्तरीय जन अनुशासन मॉडिफाइड लाकडाउन को लेकर 31मई को लेकर जारी दिशा निर्देश में राज्य में कोरोना संक्रमण में गिरावट आने किन्तु संक्रमण खत्म नही होना बताया गया है।साथ ही प्रतिबंधित गतिविधियों के परिशिष्ट-अ के बिंदु संख्या-6 के अनुसार समस्त शैक्षणिक,कोचिंग संस्थाएं, लाइब्रेरीज आदि बंद रखने के निर्देश दिए गए है। बिंदु संख्या-7 में सार्वजनिक परिवहन जैसे निजी एवं सरकारी बस पूर्ण रूप से बंद रहेंगे। ऐसे में शैक्षणिक संस्थाओं के बंद होने एवं आवागमन के साधन बंद होने की स्थिति में दिनांक 06 जून 2021 के बाद ग्रीष्मावकाश खत्म होने पर विद्यालय को खोलना तथा शिक्षको व कार्मिको का आवागमन के साधनों के बंद होने पर विद्यालय में आने जाने की समस्या उत्पन्न होना स्वाभाविक है ।ऐसे में शिक्षको व संस्था प्रधानो के बीच विरोधाभास उत्पन्न होगा। इस स्थिति में किसी शिक्षक का येन केन प्रकारेण विद्यालय पंहुचना राज्य सरकार के गृह विभाग की गाइड लाइन का उल्लंघन होगा। जबकि उक्त गाइड लाइन में अनुमत गतिविधियों में रोडवेज बस और निजी बसो से आवागमन 10 जून के बाद पृथक से आदेश जारी होना बताया है।तथा बिंदु संख्या 7 में ही शुक्रवार दोपहर12 बजे से मंगलवार सुबह 5 बजे तक वीकेंड कर्पयु रहने व उसके बाद जन अनुशासन कर्पयु प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से शाम 5 बजे तक रखने के दिशा निर्देश प्रदान किये है।बिंदु संख्या-08 में लॉक डाउन के दौरान अनुमत श्रेणी के अलावा किसी भी स्थान पर 5 या 5 से अधिक व्यक्तियों का एकत्रित होने पर प्रतिबंधित रहने के निर्देश है। निर्देशो का उल्लघन करने पर कार्यवाही किये जाने के भी निर्देश है। ऐसे में यदि 6 जून 2021 से ग्रीष्मावकाश समाप्त होने पर यदि 7 जून 2021 से स्कुलो में शिक्षको को बुलाया जाता है तो राज्य के कई विद्यालयों का स्टॉफ 5 से 100 तक का होने से विद्यालयो में शिक्षको की संख्या 5 से ज्यादा होना निश्चित है जिससे राज्य सरकार के दिशा निर्देशों का सीधा-सीधा उल्लघन होगा।जबकि उक्त गाइड लाइन में जहाँ सरकारी कार्यालयो में बहुत कम स्टाफ कार्यरत है उन्हें 6 जून तक 25 प्रतिशत एवं 7 जून से 50 प्रतिशत बुलाने के दिशा निर्देश जारी किए है। ऐसे में 7 जून से विद्यालयों में बहुत ज्यादा मात्रा में कार्यरत शिक्षको को अकारण बुलाना शिक्षको में संक्रमण को बढ़ाने वाला साबित हो सकता है।
संगठन के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष नवीन शर्मा,प्रदेश सयुक्त मंत्री सुरेश व्यास ने बताया कि कि 7 जून 2021 से विद्यालयों में बालक नहीं रहेंगे,प्रवेशोत्सव एवं विद्यालय साफ सफाई कार्य दिनांक 21 जून से 15 जुलाई के बीच प्रतिवर्ष सम्पन्न होता रहा है ऐसे में बिना किसी ठोस कार्यो के महज औपचारिक रूप से स्कूल खोल कर शिक्षको बिठाने के आदेश औचित्यपूर्ण नही है।
संगठन के प्रदेशमंत्री रवि आचार्य ने बताया कि गृह विभाग के दिशा निर्देशो व निदेशालय से स्कूल संचालन प्रारम्भ करने के आदेशो के बीच उत्पन्न विरोधाभास को समाप्त करने विद्यालयो में ग्रीष्मावकाश 20 जून तक बढ़ाने के आदेश प्रदान कर शिक्षको, बालको तथा अभिभावकों को राहत प्रदान करवाना समीचीन रहेगा। साथ ही राज्य के एक लाख से अधिक शिक्षको व कार्मिको ने कोरोना आपदा में अपनी सेवाएं दी है।जिन्होंने अवकाश का उपभोग नहीँ किया है उन्हें अपने परिवार के साथ रहने का अवसर दिया जाना भी न्यायसंगत होगा।
संगठन की महिला मंत्री डॉ अरुणा शर्मा ने बताया कि संगठन ने अपना तथ्यात्मक प्रतिवेदन शिक्षामंत्री व प्रमुख शासन सचिव राजस्थान सरकार को प्रेषित कर आग्रह किया है कि राज्य सरकार के दिशा निर्देशों के अनुसार आवागमन के साधन बन्द होने, शैक्षणिक संस्थान बन्द होने,5 से अधिक एक स्थान पर एकत्रित नही होने,शुक्रवार दोपहर 12 बजे से मंगलवार सुबह 5 बजे तक वीकेंड कर्पयु होने के दिशा निर्देशों की पालना करने एवं नौतपा की भीषण गर्मी ,संक्रमण के खतरे को देखते हुए एवं स्कूल संचालन के लिए सुपुर्द किये गए औपचारिक कार्यो को मध्यनजर रखते हुए ग्रीष्मावकाश 20 जून 2021 तक बढ़ाने एवं निदेशक माध्यमिक शिक्षा के अव्यवहारिक आदेश को निरस्त करवाने के आदेश प्रदान कर राहत प्रदान करवाने की मांग की।

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