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बकरी और ऊंटनी के दूध उत्पादन में राजस्थान प्रदेश का एकाधिकार  

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– विश्व दुग्ध दिवस पर राजुवास में वर्चुअल कार्यशाला

बीकानेर, 01 जून। विश्व दुग्ध दिवस पर वेटरनरी विश्वविद्यालय में मंगलवार को “दुग्ध गुणवत्ता एवं सुरक्षा में प्रगति” विषय पर ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया गया। वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विष्णु शर्मा की अध्यक्षता में स्नातकोत्तर पशुचिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, जयपुर के सेन्टर ऑफ एक्सीलैंस ऑन मिल्क क्वालिटी एण्ड सेफ्टी द्वारा आयोजित इस कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों ने दुग्ध प्रयोगशाला के एन.ए.बी.एल. अधिस्वीकरण, दूध में प्रति जैविक और खाद्य सुरक्षा, जैविक दूग्ध उत्पादन और राजुवास जीओ पोर्टल के विषयों पर व्याख्यान प्रस्तुत किए। कार्यशाला के प्रमुख अतिथि कामधेनू विश्वविद्यालय गाँधीनगर के कुलपति प्रो. एन.एच. केलावाला ने कहा कि भारत विश्व में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन देश है, जहां प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 390 ग्राम प्रति दिन है। डेयरी सेक्टर ग्रामीण अर्थव्यवस्था और रोजगार का एक प्रमुख जरिया है। भारतीय डेयरी उद्योग 365 दिन उत्पादन देने वाला हैं। देश में दूध उत्पादक पशुओं की नस्ल विकास, प्रोजीनी और कृत्रिम गर्भाधान और आनुवांशिकी विकास कार्यों को प्रमुखता से लागू करने की जरूरत है। पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए पैकेज ऑफ प्रैक्टिस, चारे के समर्थन मूल्य और चारा बैंक की स्थापना की जानी चाहिए। प्रो. केलावाला ने राजुवास और कामधेनू विश्वविद्यालय के आपसी सहयोग की आवश्यकता जताई। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए वेटरनरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विष्णु शर्मा ने कहा कि इस वर्ष विश्व दुग्ध दिवस की थीम रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने, पोषण और सामाजिक अर्थव्यवस्था के साथ टिकाऊ डेयरी सेक्टर को विकसित करना है। राजस्थान प्रदेश डेयरी दुग्ध उत्पादन में एक ब्रांड बन गया है। राज्य का दुग्ध उत्पादन में देश में दूसरा स्थान है जहां 53 प्रतिशत भैसों से 37 प्रतिशत गायों और 8.9 प्रतिशत बकरियों से दूध प्राप्त होता है। प्रो. शर्मा ने बताया कि बकरी और ऊंटनी के दूध उत्पादन में प्रदेश का एकाधिकार है। जैविक दूध उत्पादन, मूल्य संवर्धन व दुग्ध प्रसंस्करण के कार्यों को अपना कर पशुपालक की आय में बढ़ोतरी की जा सकती है। विश्वविद्यालय ने डेयरी साइंस और खाद्य तकनीक संकाय को प्रारंभ कर इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम उठाये है और शीघ्र ही बीकानेर और बस्सी में दो डेयरी साइंस कॉलेज शुरू किए जाएंगे। कार्यशाला की संयोजक और पी.जी.आई.वी.ई.आर. की अधिष्ठाता प्रो. संजीता शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय की उन्नत दुग्ध जांच प्रयोगशाला को दूध जांच के कार्य के लिए हाल ही में एन.ए.बी.एल. से अधिस्वीकरण हो गया है। इससे यह प्रयोगशाला उन्नत उपकरणों ओर जांच प्रक्रिया से विश्व स्तरीय मापदण्डों पर खरी उतरी है। उन्होंने कहा कि दूध की गुणवŸाा और खाद्य सुरक्षा के लिए यह प्रयोगशाला एक मील का पत्थर है। उन्होंने दुग्ध की वैज्ञानिक जांच पड़ताल की संपूर्ण प्रक्रिया और ए-2 ए-1 दूध के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि भारत की डेयरी गौवंश का दूध ए-2 श्रेणी का सर्वाधिक पौष्टिक और सुरक्षित दूध माना गया है। कार्यशाला में डॉ. विकास गालव (जयपुर) ने उन्नत दुग्ध जांच प्रयोगशाला के एन.ए.बी.एल. से अधिस्वीकरण की पूरी प्रक्रिया से अवगत करवाया। डॉ. अभिषेक गौरव (नवानियां, उदयपुर) ने खाद्य सुरक्षा के लिए दूध में प्रतिजैविकी अवशेष के विषय पर, डॉ. तारा बोथरा (बीकानेर) ने राजुवास जीओ पोर्टल और डॉ. विजय कुमार बिश्नोई ने जैविक दूध उत्पादन पर अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए। कार्यशाला के प्रारंभ में वेटरनरी कॉलेज के अधिष्ठाता प्रो. आर.के. सिंह ने सभी का स्वागत किया। प्रसार शिक्षा निदेशक प्रो. आर.के. धूड़िया ने कार्यशाला का संक्षिप्त प्रतिवेदन प्रस्तुत कर सभी का आभार जताया। कार्यशाला की सहसंयोजक डॉ. बरखा गुप्ता (जयपुर) ने कार्यशाला का संचालन किया। राजुवास के आई.यू.एम.एस. के प्रभारी डॉ. अशोक डांगी ने ऑनलाइन प्रसारण किया। कार्यशाला में विश्वविद्यालय के डीन-डॉयरेक्टस, फैकल्टी सदस्य, विद्यार्थियों, प्रगतिशील किसान और पशुपालकों सहित देश-विदेश के पशुचिकित्सा विशेषज्ञों ने ऑनलाइन शिरकत की।

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