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करोड़ों का टैक्स देने पर भी व्यापारियों को नसीब नहीं हो रही छत

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बीकानेर अनाज मंडी में 80 से 100 संयुक्त लाइसेंसधारी व्यापारियों को है भूखंडों का इंतजार
बीकानेर।
बीकानेर की नई अनाज मंडी परिसर में पिछले करीब तीस सालों से लगातार 80 से 100 संयुक्त अनुज्ञापत्रधारी व्यापारी कार्यरत है। ये व्यापारी लाॅटरी सिस्टम से आवंटन के चलते भूखंड आवंटन से वंचित है। इन व्यापारियों ने विपरित परिस्थितियों में भी काम कर मंडी के विकास में अहम भागीदारी निभाई है। साथ ही मंडी टैक्स, सेल टैक्स व इनकम टैक्स के रूप में प्राप्त होने वाले राजस्व में इनका आधे से ज्यादा भाग में योगदान है। फिर भी इन्हें मंडी परिसर में सिर ढंकने तक के लिए छत तक नसीब नहीं है। इतना ही नहीं मंडी परिसर में इनके लिए कोई भी चिन्हित स्थान तक नहीं है जहां ये अपने यहां आने वाले किसानों को पीने के पानी, रजाई, बिस्तर व बैठने आदि की जरूरी सुविधा दे सके। ये व्यापारी सरकारी खुले पीड़ों पर पर ढेरियां करवा कर वहीं से अपना व्यापार संचालन करने पर विवष हैं। प्रतिकूल मौसम में इनके यहां रहने वाले मुनीम व किसानों को खुले में ही बैठना व अनाज की बोरियों पर सोना पड़ता है। मंडी टैक्स, टैक्स, जीएसटी व आयकर के रूप में इन व्यापारियों ने सरकार को हर साल करोड़ों रूपए जमा करवा दिया है। इनमें से कुछ संयुक्त अनुज्ञापत्रधारी प्रथम चरण के आवंटन के समय भी वंचित रहे थे। इसके बावजूद भी इनका वाजिब हक नहीं दिया जा रहा है।
तब भी किया था विरोध
श्री बीकानेर कच्ची आड़त व्यापार संघ पिछले 15 सालों से इस मांग को लेकर प्रयासरत है कि इन आवंटन से वंचितों को विषेष प्राथमिकता देकर भूखंड आवंटन हो तथा वर्ष 2010 में लाॅटरी सिस्टम से आवंटन का पुरजोर तरीके से विरोध किया। तब उस समय तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कृषि विपणन राज्यमंत्री गुरमीत सिंह कुन्नर ने नापासर में यह आष्वासन दिया कि लाॅटरी निकलने दें आगामी छह माह के समय में इनकों अलग से आवंटन कर दिया जाएगा। तब से लगातार संघ इन आवंटन से वंचितों के लिए संघर्ष कर रहा है। आवंटन नीति में भी संषोधन हुआ कि आवंटन से वंचितों को प्राथमिकता दी जाए, लेकिन बीकानेर अनाज मंडी के पास केवल मात्र शेष उपलब्ध जमीन बहुत कम है। इसमें सभी आवंटन से वंचित व्यापारी वर्गों का आवंटन होना है तो ये संयुक्त लाइसेंसधारी व्यापारी फिर से वंचित रह जाएंगे। इसलिए बीकानेर अनाज मंडी परिसर में कार्यरत संयुक्त लाइसेंसधारियों को प्राथमिकता से भी विषेष प्राथमिकता देनी पड़ेगी। क्योंकि बाकी वर्गों के व्यापारियों का कार्य क्षेत्र मंडी परिसर अथवा बाहर से भी हो सकता है। लेकिन किसानों की ढेरियां करवा कर नीलामी सिस्टम में माल बेचने वाले संयुक्त लाइसेंसधारी व्यापारी का कार्य क्षेत्र तो सिर्फ मंडी परिसर ही है तथा वो ही सरकार को मंडी टैक्स के रूप में राजस्व देते हैं। इसलिए आवंटन नीति में आंषिक संषोधन कर संयुक्त लाइसेंसधारियों को प्राथमिकता में भी विषेष प्राथमिकता देकर डीएलसी को 25 प्रतिषत राषि से आवंटन किया जाए।
कर रखा है करोड़ों का निवेष
पूर्व कृषि उपज मंडी समिति (अनाज) बीकानेर ने इन संयुक्त लाइसेंसधारी व्यापारियों को मंडी के विकास के लिए बिना किसी चिन्हित स्थान के मंडी परिसर के लाइसेंस दिए थे, आज इन व्यापारियों ने करोड़ों का निवेष कर रखा है और अपनी आजीविका चला रहे हैं, किसानों को मंडी प्रांगणों में माल लाने के लिए प्रोत्साहित कर सरकार को राजस्व देते हैं। अब मंडी समिति के पास केवल मात्र शेष 12 बीघा भूमि में इन व्यापारियों को विषेष प्राथमिकता से भूखंड अविलम्ब आवंटन हो। ज्ञात रहे कि स्थान के अभाव के कारण पष्चातवर्ती वर्षों मंें मंडी प्रांगणों के संयुक्त लाइसेंसधारी लाइसेंस देने के लिए बंद किए गए हैं जो आज भी बंद है।
चैकों का करेंगे बहिष्कार
बीती 12 फरवरी को संघ की आमसभा में इन व्यापारियों के हक के लिए आन्दोलन करने का निर्णय लिया गया है कि जरूरत पड़ी तो मंडी समिति को दिए जाने वाले मंडी टैक्स के चैकों का भी बहिष्कार किया जाएगा। जब तक सरकार सुनवाई नहीं करेगी आन्दोलन चलता रहेगा। उन्होंने आग्रह किया कि आवंटन से वंचित संयुक्त लाइसेंसधारियों का धैर्य जवाब दे चुका है, ऐसे में किसी भी प्रकार की होने वाली अप्रिय घटना की समस्त जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।
इनका कहना है-
हमने राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है तथा तत्काल वंचित संयुक्त लाइसेंसधारी व्यापारियों की समस्या का समाधान देने का आग्रह किया है।

नंद किषोर राठी, मंत्री
हमारी मांग है कि कृषि उपज मंडी समिति (अनाज) बीकानेर के पास केवल मात्र उपलब्ध 12 बीघा में भूमि में इन आवंटन से वंचित करीब 80 से 100 संयुक्त अनुज्ञापत्रधारी व्यापारियों को आवंटन नीति में आंषिक संषोधन कर विषेष प्राथमिकता का दर्जा दें। साथ ही 20 गुणा 40 या 15 गुणा 30 वर्गफुट के छोटो-छोटे भूखंड पुराने व्यापारियों की तर्ज पर दें। इन्हें डीएलसी की 25 प्रतिषत राषि से 31 मार्च 2020 से पहले पहले आवंटन हो ताकि वे अपना व्यापार सुचारू रूप से चला सके।

जगदीष प्रसाद पेड़ीवाल, अध्यक्ष, श्री बीकानेर कच्ची आड़त व्यापार संघ
सरकार एक तरफ तो आवासन मण्डल में भूखंड व मकान देने के लिए विज्ञापन देती है, वहीं दूसरी तरफ इतने सालों से की जा रही भूखंडों की मांग की सुनवाई नहीं हो रही है जबकि सरकार को करोड़ों रूपयों का राजस्व प्राप्त होगा, मंडी का विकास होगा, व्यापारियों को राहत मिलेगी।

मोतीलाल सेठिया, संरक्षक, श्री बीकानेर कच्ची आड़त व्यापार संघ

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