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सुनो सरकार करें गौर बीकानेर के उद्यमी बजट मांगे मोर

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बीकानेर। राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री ने प्रदेष के उद्यमियों से बजट को लेकर सुझाव मांगे हैं। इस संबंध में बीकानेर के उद्यमी एवं व्यापारियों को सरकार से बेहद ज्यादा उमीदें बंध गई है। यहां के कारोबारी बीकानेर की इंडस्ट्री के विकास को लेकर काफी सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। बीकानेर के कारोबारी खासकर लघु उद्योगों को विकसित करने की मांग हो रही हैं। इसके अलावा पहले से बिजली की बढ़ी दरों की मार सहन कर रहे उद्यमी हाल ही में फिर से बिजली दरों में हुई बेतहाषा बढ़ोतरी से चिंतित नजर आ रहे है। उद्यमी बिजली की दरों पर पुनर्विचार करने की बात कह रहे हैं। इसके अलावा मेगा फूड पार्क का लम्बे समय से इंतजार हो रहा है, लेकिन हर बार महज आष्वासन के सिवाए कुछ नहीं मिला। इस बार इस बजट में इसे अमलीजामा पहनाए जाने की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं यहां के पटाखा कारोबारी लाइसेंस देने व नवीनीकरण प्रक्रिया में सुधार चाह रहे हैं तो कई कारोबारी किसानों को पानी बिजली की बेहतर सुविधा देने का सुझाव दे रहे हैं। युवा उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए वाजिब दामों में भूखंड की डिमांड आ रही है। इधर, शहर के रियल एस्टेट कारोबारी भी सर्किल डीएलसी रेट, लैबर सैस आदि में छूट चाह रहे हैं। इस बार बीकानेर के उद्यमियों की इंडस्ट्री को लेकर की मांगी गई सुविधाओं की फेरिहस्त बहुत लंबी है अब देखना है कि राज्य सरकार इस बजट में बीकानेर के उद्यमियों पर कितनी मेहरबानी दिखाती है।
एमएसएमई उद्योगों के बचाव के लिए भेजे प्रस्ताव
बीकानेर जिला उद्योग संघ ने एक परिचर्चा का आयोजन कर सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योगों को बचाने हेतु बजट में शामिल करने के प्रस्ताव मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भिजवाए। अध्यक्ष द्वारकाप्रसाद पचीसिया ने बताया कि एमएसएमई उद्योगों के अस्तित्व को बचाने एवं अन्य राज्यों के साथ प्रतिस्पर्द्धा में बनाए रखने के लिए सरकार को बिजली की दरों में कम से कम 2 रूपये प्रति यूनिट अनुदान की घोषणा करनी चाहिए। जबकि इसके विपरीत राजस्थान राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा वर्ष 2019-20 के लिए घोषित विद्युत दरों में एमएसएमई उद्योगों को रियायत देने की आवश्यकता थी क्योकि ये उद्योग पूर्व में ही उच्च विद्युत दरों के कारण संकट में है। साथ ही कृषि आधारित उद्योग के विकास हेतु अन्य प्रान्तों से आयातित कच्चे माल पर लागू मंडी शुल्क में भूतलक्षी प्रभाव से छूट प्रदान की जानी चाहिए और साथ ही बीकानेर के औद्योगिक विकास के लिए सरकार से आगामी बजट में गजनेर औद्योगिक क्षेत्र खोलने की भी मांग की गई ताकि जिले में अधिक से अधिक इकाइयां लग सके और रोजगार की सम्भावनाएं भी बढाई जा सके। परिचर्चा में सचिव विनोद गोयल, उपाध्यक्ष निर्मल पारख, राजाराम सारडा, दिलीप रंगा, पी.सी.गोयल आदि शामिल हुए।
इनका कहना है-
बजट घोषणाओं का वास्तविक क्रियान्वयन हो। तब काफी लोगों का भला हो जाएगा। लंबित मेगा फूडपार्क योजना को धरातल पर लाए। केन्द्र व राज्य सरकार की सब्सिडी मिले तो बीकानेर खाद्य पदार्थ इंडस्ट्री का हब बन जाएगा। बिजली की दरें पड़ौसी राज्यों के बराबर की जाए अन्यथा यहां कोई भी बड़ी इंडस्ट्री लगाने की हिम्मत नहीं करेगा। पीबीएम अस्पताल को बजट बढ़ा कर दें और इसमें पैरा मेडिकल स्टाफ की नियुक्ति की जाए। इस बजट में बीकानेर में फार्मेसी, नर्सिंग व डेन्टल के सरकारी काॅलेज का प्रावधान रखा जाए। रेल फाटक के समाधान को लेकर बजट का प्रावधान भी हो।
अनन्तवीर जैन, अध्यक्ष, बीकानेेर व्यापार उद्योग मंडल संरक्षक परिषद
आतिषबाजी के विक्रय अनुज्ञा पत्र जिला प्रषासन द्वारा जारी किए जाते हैं। इन्हें नियमानुसार पूरे राजस्थान में 5 वर्ष के लिए लिए जारी करें और नवीनीकरण भी पांच साल के लिए होना चाहिए। पैसो द्वारा जारी फायर वर्क लाइसेंस 5 वर्ष के लिए जारी किया जाता है और इतने ही वर्षों के लिए नवीनीकरण किया जाता है। जबकि राज्य सरकार के जिला प्रषासकों द्वारा कहीं एक तो कहीं दो वर्ष के लिए जारी किए जाते हैं। नवीनीकरण शुल्क पैसो द्वारा नवीनीकरण आवेदन के साथ ही ले लिया जाता है। जबकि राज्य सरकार ऐसा नहीं करती। इसलिए बजट में राज्य सरकार भी नवीनीकरण फीस नवीनीकरण आवेदन के साथ लेने का दिषा निर्देष जारी करें। लाइसेंस में पुलिस का अनापत्ति प्रमाण पत्र नया जारी करने पर ही लिया जाए।
वीरेन्द्र किराडू, सचिव, बीकानेर फायर वक्र्स एसोसिएषन

बजट में किसानों को पर्याप्त कैनाल वाटर उपलब्ध करवाने का प्रावधान हो। सोलर योजना को अमलीजामा पहनाए। इंडस्ट्री के लिए रेट आॅफ इंटरस्ट कम हो। किसान अपनी मर्जी के अनुसार फसल बीमा योजना कराए। सरकार यंग एन्टरप्रन्योर को प्रमोट करें। उनको राषनलाइज रेट पर लेंड प्रोवाइड करवाई जाए। चाहे प्लाॅट छोटे भी क्यों न हो। रीको जिस भाव पर खरीद करती है उसी भाव पर अपने खर्च जोड़ कर युवा उद्यमियों का उपलब्ध करवाए।
नरेन्द्र डूमरा, अवि रबर प्रोडक्ट्स
राज्य के इस बजट में इंडस्ट्री से संबंधित स्टाम्प ड्यूटी में छूट की व्यवस्था हो। रीको के नियमों का सरलीकरण हो। बिजली दरें इंडस्ट्री में नहीं बढ़े वरना इस मंदी में और नकारात्मक इम्पेक्ट आएगा। इंडस्ट्री में सोलर सिस्टम लगाने की सब्सिडी दी जाए जिससे सरकार पर भी भार कम आएगा।
उमाशंकर माथूर, प्रमुख, गौरव पैकेज

अभी सौदे से ज्यादा सर्किल डीएलसी रेट हो रही है। बजट में सरकार इसे कम करें। वर्ष 2013 में प्रषासन शहरों की ओर अभियान चलाया गया था उस समय पट्टे देने की जो रेट थी वह आज उससे डेढ़ गुना अधिक हो गई है। इसे जस्टीफाई करें। सरकार हर बात पर सैस, फीस, जुर्माना लगा रही है। ये क्या है। बिल्डिंग निर्माण में एक प्रतिशत लैबर सैस ले रही है। अब यदि किसी ने 25 लाख का मकान बनाया तो उस पर 25 हजार रूपए लैबर सैस दो। सरकार इस पर विचार करें। इतना सब कर दे ंतो सरकार की बहुत मेहरबानी होगी।
विनोद बोथरा, डायरेक्टर, श्री देवभूमि विनमेय प्रा.लि.
राज्य सरकार इस बजट में ई-वे बिल की लिमिट को बढ़ाकर 2 लाख कर दें। पचास हजार लिमिट बहुत कम है। व्यापारी इससे बहुत परेषान है। दूसरा सरकार नई इंडस्ट्री की तरह पुरानी इंडस्ट्री को भी प्रोत्सान दें। होटल को उद्योग का दर्जा देने की बात हो रही है। सरकार फूड इंडस्ट्री को भी उद्योग का दर्जा दें। इससे राजस्थान में फूड इंडस्ट्री बहुत ज्यादा पनपेगी।
वेद प्रकाश अग्रवाल, प्रमुख, प्रेम मिष्ठान भंडार, रानीबाजार औद्योगिक क्षेत्र
वर्तमान में व्यापार उद्योग जगत की स्थिति बहुत दयनीय है। बजट में सरकार मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स जैसे फूड इंडस्ट्री, मार्बल इंडस्ट्री, ग्वार गम मिल आदि को बढ़ावा देकर व्यापारियों को सहयोग दें।
शोक वासवानी, डायरेक्टर, मोहन उद्योग

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